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JR CPCT INSTITUTE, TIKAMGARH (M.P.) || ॐ || मार्गदर्शन हमारा- सफलता आपकी || ॐ || एक नई शुरुआत (Editorial Dictation) MOB. 7000315619

created Mar 17th, 03:41 by entertainmentBabaji


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एक नई शुरुआत संसद के विशेष सत्र के पहले दिन की बैठक के साथ यह सुनिश्चित होना एक नई शुरुआत है कि आगे की कार्यवाही संसद के नए भवन में होगी। यह अच्छा हुआ कि प्रधानमंत्री के साथ सत्तापक्ष और विपक्ष के अनेक सांसदों ने अंग्रेजी सत्ता की ओर से बनवाए गए संसद भवन से जुड़ी यादों का उल्लेख किया और इस दौरान उन उपलब्धियों को भी रेखांकित किया, जो बीते सात दशक से अधिक समय में देखने को मिलीं। इसमें कोई संदेह नहीं हो सकता कि विभिन्न सरकारों की ओर से संसद में लिए गए महत्वपूर्ण निर्णयों के कारण ही आज देश इस पड़ाव पर है कि 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का जो सपना देखा जा रहा है, वह पूरा होता दिख रहा है। यह उल्लेखनीय है कि विशेष सत्र के पहले दिन पक्ष-विपक्ष के अनेक नेताओं ने संसदीय यात्रा के 75 वर्ष के लंबे सफर की चर्चा करते हुए दलगत राजनीति से ऊपर उठकर अपने विचार व्यक्त किए। यह भाव संसद के नए भवन में भी दिखना चाहिए। संसद का नया भवन भव्य है और वह कहीं अधिक सुविधाओं से भी लैस है, लेकिन उसकी गरिमा तब बढ़ेगी, जब पक्ष-विपक्ष आम सहमति की राजनीति की महत्ता को समझेंगे। एक समय था, जब संसद में आम सहमति कायम करते हुए फैसले लिए जाते थे और राष्ट्रीय महत्व के विषयों पर स्वस्थ एवं सार्थक विचार-विमर्श होता था। यह स्वीकार करना होगा कि पिछले कुछ वर्षों से संसद में आम सहमति मुश्किल से ही कायम हो पाती है। वहां हंगामा और नारेबाजी ही अधिक होती है। ऐसा इसीलिए होता है, क्योंकि विरोध के लिए विरोध की राजनीति हावी होती जा रही है। यह राजनीति भारतीय लोकतंत्र के लिए शुभ नहीं। संसद सही तरह तभी चल सकती है और विधेयकों के साथ राष्ट्रीय महत्व के विभिन्न विषयों पर आम सहमति तभी कायम हो सकती है, जब सत्तापक्ष और विपक्ष, दोनों एक-दूसरे को अपेक्षित महत्व देंगे। लोकतंत्र में असहमति के बीच सहमति कायम करनी होती है। आज जब सभी यह मान रहे हैं कि अतीत में संसद में कहीं अधिक सार्थक चर्चा होती थी, तब फिर इसके लिए सभी को सक्रिय क्यों नहीं होना चाहिए कि वह सुनहरा दौर संसद के नए भवन में भी देखने को मिले ? निःसंदेह ऐसा तभी हो सकता है, जब राजनीतिक कटुता और नकारात्मक राजनीति का परित्याग किया जाएगा। इस संदर्भ में प्रधानमंत्री ने यह सही कहा कि पुरानी बातों को छोड़कर नई ऊर्जा और विश्वास के साथ हम सबको संसद के नए भवन में प्रवेश करना चाहिए। यह ठीक है कि कुछ राज्यों के विधानसभा चुनाव शीघ्र होने हैं और लोकसभा चुनाव भी निकट रहे हैं, लेकिन यदि राजनीतिक दल संसद और साथ ही जनता के प्रति अपने दायित्वों को लेकर सजग एवं संवेदनशील हों तो संसद के नए भवन में संसदीय कार्यवाही के मामले में एक नई शुरुआत हो सकती है।  
 

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