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हैरान करने वाली बात तो यह है
created Aug 8th 2016, 18:24 by vishal22880
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हैरान करने वाली बात तो यह है कि गुरू नानक देव जी ने यह यात्राएं पैदल ही कीं और उन्हें अनेक मुश्किलों का सामना करना पड़ा होगा, क्योंकि उस समय में आज के समय की तरह यातायात के साधन बिल्कुल ही विकसित नहीं हुए थे। फिर भी गुरू जी ने इस पुरातन समय में भी इतना बड़ा कार्य कर दिखाया, जिससे वर्तमान समय की जनता को प्रेरणा और प्रोत्साहन लेना चाहिए। इन यात्राओं का ब्यौरा इस तरह है: -
पहली यात्रा: 1500 ई से 1505 ई - सुलतानपुर से गोइंदवाल, फतियांबाद, अमृतसर, छांगामांगा जंगल, ऐमनाबाद, पसरूर, गुजरांवाला, तलवंडी, लाहौर, कसूर, चूनियां, कुरूक्षेत्र, करनाल, हरिद्वार, नजीबाबाद, दिल्ली, वृंदावन, मथुरा, आगरा, अलीगढ़, कानपुर, लखनऊ, अयोध्या, इलाहाबाद, मिरजापुर, बनारस, जौनपुर, बरसर, छपरा, हाजीपुर, पटना, गया, राजगिरी, मूंगेर, भागलपुर, साहिबगंज, राजमहल, मालदा, पुर्बातीपुर, लाल -मिनार, धबड़ी, गोहाटी, कोहीमा, इंफाल, लखीमपुर, सिलचर, सिलहट, अगरतला, चांदपुर, ढाका,
पहली यात्रा: 1500 ई से 1505 ई - सुलतानपुर से गोइंदवाल, फतियांबाद, अमृतसर, छांगामांगा जंगल, ऐमनाबाद, पसरूर, गुजरांवाला, तलवंडी, लाहौर, कसूर, चूनियां, कुरूक्षेत्र, करनाल, हरिद्वार, नजीबाबाद, दिल्ली, वृंदावन, मथुरा, आगरा, अलीगढ़, कानपुर, लखनऊ, अयोध्या, इलाहाबाद, मिरजापुर, बनारस, जौनपुर, बरसर, छपरा, हाजीपुर, पटना, गया, राजगिरी, मूंगेर, भागलपुर, साहिबगंज, राजमहल, मालदा, पुर्बातीपुर, लाल -मिनार, धबड़ी, गोहाटी, कोहीमा, इंफाल, लखीमपुर, सिलचर, सिलहट, अगरतला, चांदपुर, ढाका,
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