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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा (म0प्र0) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
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सड़क हादसों के लगाातार बढ़ते आंकडे के बीच यह तस्वीर चिंताजनक हैं कि जयपुर, रायपुर, अहमदाबाद और लखनऊ जैसे देश के बड़े शहरों में ऐसे हादसों में मरने वालों की संख्या देश के महानगरों से भी ज्यादा है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की ताजा रिपार्ट में इस तथ्य का खुलासा हुआ है। साफ हैं कि दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता व चैन्नई सरीखे महानगरों ने अपने यहां सड़क हादसों में होने वाली मौतों को कम करने के प्रयासों को गति दी है। वहीं राजस्थान छत्तीसगढ़ व उत्तरप्रदेश की राजधानियां तेज रफ्तार वाहनों पर लगाने व बेहतर सड़कों का जाल बिछाने में कहीं पीछे नजर आती है।
रिपोर्ट के तथ्य यह भी बताते हैं कि यातायात नियमों का पालन सख्ती से कराया जाए तो हादसे और उनमें होने वाली मौतों की संख्या कम ही जा सकती है। पिछले सालों में हमारे देश में मोटर व्हीकल एक्ट में यातायात नियमों की अवहेलना के लिए दण्ड प्रावधान जरूर बढ़े हैं लेकिन इन प्रावधानों पर अमल सख्ती से हो, इस ओर सरकारों का ध्यान नहीं जाता। हैरत इस बात की हैं कि आम तौर पर सफर के लिए सुरक्षित समझे जाने वाले एक्सप्रेस हादवे पर भी जानलेवा हादसे होने लगे है। पिछले दिनों ही दिल्ली हाईकोर्ट ने एक्सप्रेस वे पर होने वाले हादसों को लेकर चिंता जताई थी। सड़क हादसों को लेकर जो आंकड़े सामने आए हैं उनसे साफ हैं कि जिन शहरों में यातायात नियमों की पालना को लेकर सख्ती हुई वे हादसों पर लगाम लगा पाए लेकिन जहां भी लापरवाही बरती गई वहां हादसों में मौत के आंकडे महानगरों को भी पीछे छोड़ गए। देखा जाए तो आए दिन खून से लाल होती सड़कों से हम कोई सबक लेने को तैयार नहीं। पिछले सालों में हमारे देश में जिस रफ्तार से सड़कों का जाल बिछा है उसी रफ्तार से वाहनों की रेलमपेल भी बढ़ी है। हादसों के कारणों में हमारी रोड़ इंजीनियरिंग की खामियों से लेकर वाहन चलाने में लापरवाही तक शामिल है। नियम-कायदों की अनदेखी कर वाहन चलाने की लापरवाही के लिए तो कभी साफ किया ही नहीं जाना चाहिए। ओवरलोडिग, ओवरस्पीड और ओवरटेकिंग के रूप में सामने आता है।
रिपोर्ट के तथ्य यह भी बताते हैं कि यातायात नियमों का पालन सख्ती से कराया जाए तो हादसे और उनमें होने वाली मौतों की संख्या कम ही जा सकती है। पिछले सालों में हमारे देश में मोटर व्हीकल एक्ट में यातायात नियमों की अवहेलना के लिए दण्ड प्रावधान जरूर बढ़े हैं लेकिन इन प्रावधानों पर अमल सख्ती से हो, इस ओर सरकारों का ध्यान नहीं जाता। हैरत इस बात की हैं कि आम तौर पर सफर के लिए सुरक्षित समझे जाने वाले एक्सप्रेस हादवे पर भी जानलेवा हादसे होने लगे है। पिछले दिनों ही दिल्ली हाईकोर्ट ने एक्सप्रेस वे पर होने वाले हादसों को लेकर चिंता जताई थी। सड़क हादसों को लेकर जो आंकड़े सामने आए हैं उनसे साफ हैं कि जिन शहरों में यातायात नियमों की पालना को लेकर सख्ती हुई वे हादसों पर लगाम लगा पाए लेकिन जहां भी लापरवाही बरती गई वहां हादसों में मौत के आंकडे महानगरों को भी पीछे छोड़ गए। देखा जाए तो आए दिन खून से लाल होती सड़कों से हम कोई सबक लेने को तैयार नहीं। पिछले सालों में हमारे देश में जिस रफ्तार से सड़कों का जाल बिछा है उसी रफ्तार से वाहनों की रेलमपेल भी बढ़ी है। हादसों के कारणों में हमारी रोड़ इंजीनियरिंग की खामियों से लेकर वाहन चलाने में लापरवाही तक शामिल है। नियम-कायदों की अनदेखी कर वाहन चलाने की लापरवाही के लिए तो कभी साफ किया ही नहीं जाना चाहिए। ओवरलोडिग, ओवरस्पीड और ओवरटेकिंग के रूप में सामने आता है।
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