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बाहुबली रॉकेट एलवीएम3-एम5

created Yesterday, 06:18 by sanish yadav


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पिछले दिनों श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से बाहुबली रॉकेट एलवीएम3-एम5 ने भारत के अब तक के सबसे भारी संचार उपग्रह सीएमएस-03 को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में पहुंचाया और उसी के साथ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने एक बार फिर इतिहास रच दिया। यह प्रक्षेपण केवल भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक नई छलांग है बल्कि यह उस आत्मनिर्भरता का प्रतीक भी है, जिसकी परिकल्पना आज का भारत अपने वैज्ञानिक संकल्प से साकार कर रहा है। करीब 4,410 किलोग्राम वजनी सीएमएस-03 उपग्रह को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट जीटीओ में स्थापित किया गया है। यह भारत की धरती से अब तक छोड़ा गया सबसे भारी संचार उपग्रह है। यह उपग्रह भारत तथा आसपास के समुद्री क्षेत्रों में मल्टी-बैंड संचार सेवाएं प्रदान करेगा और अगले 15 वर्षों तक देश की संचार प्रणाली की रीढ़ साबित होगा। इस मिशन की सफलता ने एक बार फिर इसरो की वैज्ञानिक दक्षता, तकनीकी परिपक्वता और अडिग संकल्प का प्रमाण दिया है। बाहुबली नाम अपने आप में इस रॉकेट की क्षमता का परिचायक है। एलवीएम3 लॉन्च व्हीकल मार्क-3 इसरो का सबसे शक्तिशाली प्रक्षेपण यान है, जो लगभग 43.5 मीटर ऊंचा और तीन चरणों में कार्य करने वाला रॉकेट है। इसकी भार वहन क्षमता ही इसे बाहुबली का दर्जा देती है। यह रॉकेट लगभग 4,000 किलोग्राम वजन तक के उपग्रहों को जीटीओ में और 8,000 किलोग्राम तक के उपग्रहों को पृथ्वी की निम्न कक्षा लो अर्थ ऑर्बिट तक पहुंचाने में.

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