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गुरु तेग बहादुर - 02 December Junior Assistant Typing - By Dream Computer Centre

created Today, 16:01 by AnkitKumar89


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गुरु तेग बहादुर सिखों के नौवें गुरु थे, जिनका जीवन साहस, त्याग और आध्यात्मिक चेतना का अद्भुत प्रतीक माना जाता है। उनका जन्म 1621 में अमृतसर में हुआ और बचपन से ही वे तपस्या, धैर्य और गहन चिंतन के लिए प्रसिद्ध थे। गुरु तेग बहादुर ने समाज में फैले भय को मिटाने, कमजोरों की रक्षा करने और मानवता के मूल्यों को सशक्त बनाने के लिए अनेक यात्राएं कीं। उन्होंने हमेशा यह संदेश दिया कि सत्य के मार्ग पर चलना कठिन जरूर है, लेकिन वही मार्ग आत्मबल को मजबूत करता है। 1675 में जब अत्याचार अपनी सीमा पार कर चुके थे, तब उन्होंने कश्मीरी पंडितों की रक्षा के लिए स्वयं को मुगल शासक के सामने प्रस्तुत किया। उनका बलिदान केवल किसी एक धर्म की रक्षा के लिए नहीं था, बल्कि पूरी मानव जाति के अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए था। गुरु तेग बहादुर ने यह सिद्ध किया कि जब अन्याय बढ़ता है, तब किसी एक व्यक्ति का साहस भी इतिहास की दिशा बदल सकता है। उनका शहीदी स्थल आज भी लाखों लोगों को यह सिखाता है कि धर्म, न्याय और मानवता की रक्षा के लिए समर्पण, संघर्ष और निडरता कितनी महत्वपूर्ण है। उनके उपदेश, उनकी वाणी और उनका आदर्श आज भी नए युग के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं, और आने वाली पीढ़ियां उनके इस अमर बलिदान को सदियों तक याद रखेंगी।

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