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created Yesterday, 17:55 by DevendrakumarPatel1
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विधि की पुस्तकें केवल कानून नहीं सिखाती, वे न्याय की दिशा दिखाती है – हर पृष्ठ एक विचार है, जो संविधान को जीवित रखता है।
कानून की गहराई को वही समझ सकता है जिसमें किताबों की गहराई में स्वयं को डुबोया है।
हर पढ़ी गई विधिक पुस्तक, वकील की एक बेहतर योद्धा बनाती है।
कानून की किताबें केवल नियम नहीं होती, ये समाज के मौन संघर्ष की आवाज होती है।
हर न्यायप्रिय वकील की पहली न्यायालय उसकी पुस्तक होती है।
विधिक ज्ञान बिना अध्ययन के वैसा ही है, जैसे तलवार बिना धार के।
एक सच्चा वकील अपनी आवाज से नहीं, अपनी पढ़ाई से न्याय को मजबूती देता है।
वकील वही सफल होता हैं, जिसके पीछे किताबों की रातें और सच्चाई की आंच होती है।
न्यायाधीश की कुर्सी कोई पद नहीं है, वह उत्तरदायित्व है- जो हर निर्णय से समाज का भविष्य लिखता है।
न्याय का तराजू सबसे पहले पढ़ी गई किताबों के पन्नों से संतुलित होता है।
किताबें हमें वहां ले जाती है, जहां पांव नहीं पहुंच सकते – और सोच को वहां पहुंचाती है, जहां कल्पना भी हांफ जाती है।
जितना अधिक आप पढ़ेंगें, उतनी ही अधिक बातें आप जानेंगें। जितना अधिक आप जानेंगें उतनी दूर आप जाऐंगें।
जो व्यक्ति साधारण से ऊपर उठना चाहते है, उनके लिए पढ़ना आवश्यक है।
एक पाठक हजार जिन्दगियों जीता है, जो नहीं पढ़ता वह सिर्फ एक जिंदगी जीता है।
कानून की गहराई को वही समझ सकता है जिसमें किताबों की गहराई में स्वयं को डुबोया है।
हर पढ़ी गई विधिक पुस्तक, वकील की एक बेहतर योद्धा बनाती है।
कानून की किताबें केवल नियम नहीं होती, ये समाज के मौन संघर्ष की आवाज होती है।
हर न्यायप्रिय वकील की पहली न्यायालय उसकी पुस्तक होती है।
विधिक ज्ञान बिना अध्ययन के वैसा ही है, जैसे तलवार बिना धार के।
एक सच्चा वकील अपनी आवाज से नहीं, अपनी पढ़ाई से न्याय को मजबूती देता है।
वकील वही सफल होता हैं, जिसके पीछे किताबों की रातें और सच्चाई की आंच होती है।
न्यायाधीश की कुर्सी कोई पद नहीं है, वह उत्तरदायित्व है- जो हर निर्णय से समाज का भविष्य लिखता है।
न्याय का तराजू सबसे पहले पढ़ी गई किताबों के पन्नों से संतुलित होता है।
किताबें हमें वहां ले जाती है, जहां पांव नहीं पहुंच सकते – और सोच को वहां पहुंचाती है, जहां कल्पना भी हांफ जाती है।
जितना अधिक आप पढ़ेंगें, उतनी ही अधिक बातें आप जानेंगें। जितना अधिक आप जानेंगें उतनी दूर आप जाऐंगें।
जो व्यक्ति साधारण से ऊपर उठना चाहते है, उनके लिए पढ़ना आवश्यक है।
एक पाठक हजार जिन्दगियों जीता है, जो नहीं पढ़ता वह सिर्फ एक जिंदगी जीता है।
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