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पाकिस्तान का अपना रूप
created Nov 17th, 16:38 by shrinarayan
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पाकिस्तान सार्वजनिक रूप से चीन और रूस के साथ मिलकर अमेरिकी क्षेत्रीय ठिकानों का विरोध करता है, निजी तौर पर वह वाशिंगटन को आर्थिक अवसरों का लालच देकर वित्तीय राहत और राजनीतिक वैधता की मांग करता है। यह दोतरफा कूटनीति पाकिस्तान के रणनीतिक विरोधाभास को उजागर करती है। वह अपने भूगोल का इस्तेमाल प्रतिद्वंद्वीशक्तियों से रियायतें हासिल करने के लिए कर रहा है। ट्रंप का पाकिस्तान के साथ नया जुड़ाव भरोसे पर नहीं, बल्कि कठोर वास्तविकता पर आधारित है। तालिबान और उससे जुड़े आतंकवादी नेटवर्कों को अफगानिस्तान में पुनः सक्रिय होने से रोकने के लिए अमेरिका को इस्लामाबाद से सीमित सहयोग की आवश्यकता है। उसे यह भी डर है कि दक्षिण एशिया में कहीं बीजिंग अपना पूरा प्रभाव न जमा ले, खासकर जबसे चीन के सीपीईसी प्रोजेक्ट और नौसेना महत्वाकांक्षाएं अरब सागर की ओर बढ़ रही हैं। इतिहास में यह अच्छी तरह दर्ज है कि पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में किस तरह अमेरिका के साथ विश्वासघात किया-तालिबान को गुप्त रूप से आश्रय देने से लेकर अपनी सेना के लिए अमेरिकी सहायता में हेराफेरी करने तक। ट्रंप उसी जाल में फंसने का जोखिम उठा रहे हैं, जिसमें पिछली अमेरिकी सरकारें फंसी थीं। भारत के लिए यह घटनाक्रम एक रणनीतिक झटका है। नई दिल्ली, जिसने पिछले साल वाशिंगटन के साथ दस वर्षीय रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, को उम्मीद थी कि अमेरिका अपने लोकतांत्रिक सहयोगी के प्रति (खासकर हिंद-प्रशांत सुरक
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