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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा (म0प्र0) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
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				भारत की महिला क्रिकेट टीम ने रविवार रात को नवी मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में जो धमाका किया, उसकी गूंज लंबे समय तक बनी रहेगी। बनी रहनी भी चाहिए, क्योंकि यह ऐतिहासिक उपलब्धि है। विश्व चैपियन बनना छोटी उपलब्धि हो भी नहीं सकती। 52 साल हुए है महिला क्रिकेट विश्व कप को शुरू हुए और यह पहली बार है जब ऑस्ट्रेलिया और  इंग्लैड जैसे देशों की बपौती माना जाने वाला यह ताज वहां से निकलकर भारत के मस्तक पर सुशोभित हुआ है। इसे महिला क्रिकेट में वर्चस्व का स्थानांतरण माना जा सकता है, ठीक पुरूष विश्व कप की तरह जब 1983 में भारत ने वेस्ट इंडीज से क्रिकेट की सत्ता छीन ली थी। वह कमाल कपिल देव की टीम ने किया था। अब ठीक वैसा कारनामा महिलाओं के लिए हरमनप्रीत कौर की टीम ने कर दिखाया है।  
जब मील का पहला पत्थर कायम होता है तो आगे मंजिलों के लिए रास्ते खुलते जाते हैं। दुनिया जानती हैं कि कपिल देव की टीम के विश्व विजेता बनने के बाद भारतीय पुरूष क्रिकेट में किस कदर सकारात्मक बदलाव आए और भारतीय टीम की आज की धाक में भी उसी जीत का कहीं योगदान है। इसलिए पूरे विश्वास के साथ कहा जा सकता है कि महिला विश्व चैपियन बनने के बाद भारतीय महिला क्रिकेट की तस्वीर बदलने वाली है। खेल का माहौल अब बहुत सिर चढ़कर बोलेगा और यह बुलंदियों तक पहुंचनेे के अनेक मार्ग भी खोलेगा। आने वाली कई पीढि़यां भारत की इस जीत से प्रेरित और प्रभावित होगी। जिस तरह से कोई भी किसी रोल मॉडल में अपनी छवि देखता है, ठीक उसी तरह लड़कियां इस जीत की नायिकाओं में खुद को फिट बिठाने और उनका कारनामा दोहराने में लग जाएंगी। हरमनप्रीत कौर के शब्दों में इम जीत सकते है, इसके प्रति अविश्वास कभी भी नहीं रहेगा। बस आगे प्रगति के सोपान तय करने के लिए हमें इस जीत को अपनी आदत बनाना होगा। पूरे विश्वास के साथ कहा जा सकता है कि लंबे समय तक यह आदत बनी रहेगी और भारत के सिर पर और कई ताज सुशोभित होते रहेंगे।
भारतीय टीम पूरी तरह संतुलित और क्षमतवान थी। यह चैपियन बनने की पूरी हकदार थी। अकेली यही टीम थी जिसने किसी के लिए भी मुकाबला आसन नहीं होने दिया।
			
			
	        जब मील का पहला पत्थर कायम होता है तो आगे मंजिलों के लिए रास्ते खुलते जाते हैं। दुनिया जानती हैं कि कपिल देव की टीम के विश्व विजेता बनने के बाद भारतीय पुरूष क्रिकेट में किस कदर सकारात्मक बदलाव आए और भारतीय टीम की आज की धाक में भी उसी जीत का कहीं योगदान है। इसलिए पूरे विश्वास के साथ कहा जा सकता है कि महिला विश्व चैपियन बनने के बाद भारतीय महिला क्रिकेट की तस्वीर बदलने वाली है। खेल का माहौल अब बहुत सिर चढ़कर बोलेगा और यह बुलंदियों तक पहुंचनेे के अनेक मार्ग भी खोलेगा। आने वाली कई पीढि़यां भारत की इस जीत से प्रेरित और प्रभावित होगी। जिस तरह से कोई भी किसी रोल मॉडल में अपनी छवि देखता है, ठीक उसी तरह लड़कियां इस जीत की नायिकाओं में खुद को फिट बिठाने और उनका कारनामा दोहराने में लग जाएंगी। हरमनप्रीत कौर के शब्दों में इम जीत सकते है, इसके प्रति अविश्वास कभी भी नहीं रहेगा। बस आगे प्रगति के सोपान तय करने के लिए हमें इस जीत को अपनी आदत बनाना होगा। पूरे विश्वास के साथ कहा जा सकता है कि लंबे समय तक यह आदत बनी रहेगी और भारत के सिर पर और कई ताज सुशोभित होते रहेंगे।
भारतीय टीम पूरी तरह संतुलित और क्षमतवान थी। यह चैपियन बनने की पूरी हकदार थी। अकेली यही टीम थी जिसने किसी के लिए भी मुकाबला आसन नहीं होने दिया।
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