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ComputerProficiencyCertificationTest 13th Jul 2025

created Wednesday October 08, 05:41 by Shashank1


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परोपकार यानी दूसरो का भला करना। पर और उपकार को जोडकर परोपकार बनता है। यह दो पदों को मिलाकर परोपकार बनता है। इंसानियत और मानवता की भावना परोपकार कहलाता है। इंसान एक समाजिक प्राणी है। जब किसी को मदद की जरूरत होती है और कोई भला इंसान उसकी सही समय पर मदद करता है उसे परोपकार कहते है। परोपकारी इंसान बिना किसी लोभ के दूसरे लोगो की सेवा अथवा सहायता करता है। उसके मन में सबके प्रित प्रेम भावना रहती है। वह किसी भी आदमी को परेशानी में नहीं देख सकता है। परोपकार इंसान समाज में प्रेम संदेश और भाईचारा फैलाता है। एक इंसान तभी एक बिढया इंसान कहलाता है जब वह दूसरो का भला करता है। दुनिया में भी सूरज गरमी और प्रकाश धरती को देता है। इसकी वजह से हम सब प्राणी जिंदा है। आसमान में छाये बादल धरती पर बारिश करते है। इससे सभी प्राणियों को जल मिलता है। परोपकार की भावना लोगो में भाईचारे को बढावा देती है। किसी का भला करने से मन को जो शांति मिलती है उसे बयान नहीं किया जा सकता है। इंसान के रूप में हम पैदा इसलिए होते है ताकि हम समाज में लोगो की सहायता कर सके। हमें सदैव यह कोशिश करनी चाहिए कि हमारे दरवाजे पर अगर कोई इंसान किसी मुसीबत में हो तो जितना हमसे हो सके हम उसकी मदद करें। दान देने के लिए धनवान होने की जरूरत नहीं होती है केवल उसकी नीयत ही काफी होती है। बहुत से लोग भोजन और कपडे और दवाईयां आदि का दान करते है। यह परोपकार कहलाता है। सबका भला करने से मन में नफरत कम हो जाती है। समाज में झगडें कम हो जायंगे। समाज में लोगो को एक दूसरे की चिंता करनी होगी तभी एक बढिया और संवेदनशील समाज का गठन हो पायेगा। हमेशा समाज में लोगो को नेक काम करने होंगे तभी एक कुलीन समाज बनेगा। इंसान को जिंदगी में बढिया काम करने चाहिए। बढिया काम और परोपकार की भावना लोगो को बढिया इंसान बनाती है।

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