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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा (म0प्र0) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created Friday July 04, 05:19 by lucky shrivatri


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एक बार एक मनौवैज्ञानिक अपनी कार्यशाला के दौरान सहभागियों को भ्रमण करा रहा था। राह में एक विकलांग युवक फल बेचता मिला। मनौवैज्ञानिक ने बताया कि इसने सबसे कम कीमत पर फल बेचते हुए अंतत: अपने स्‍थाई ग्राहक बनाए। इसलिए कौन कहना है इंसान खाली हाथ आता है। सच तो ये है कि भाग्‍य लेकर आता है और कर्म लेकर जाता है। आगे एक महाविद्यालय था और उसके पास एक महिला खूब हंसकर गरमागरम भुट्टे बेच रही थी। किशोर और युवा उससे भुट्टे खरीदकर खा रहे थे। उसका हंसमुख स्‍वभाव ही उसका मुनाफा था। यानी, जो व्‍यक्ति अच्‍छी आदतों का आदी हो जाता है, उसे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है।  
उसके बाद चौराहे पर कुछ बेहद बुजुर्ग हंसते तथा खिलखिलाते हुए मिले। वे सभी लाठी के बगैर चल नहीं सकते थे। मनौवैज्ञानिक ने बताया कि यह अपने अतीत के कुछ अच्‍छे दिनों को दोहराकर खुश रहते है। यही जीवन है। आपने मुस्‍कुराहट के लिए ईश्‍वर को धन्‍यवाद नहीं कहा, तो आंखों में आए आंसुओं के लिए शिकायत का आपको अधिकार नहीं है। उसके बाद कुछ मजदूर औरते तालाब की खुदाई करमी मिली। वे सभी पानी के लिए गीत गा रही थी। मनौवैज्ञानिक ने बताया कि इनका विश्‍वास ही वो शक्ति है जिससे सुखी हुई दुनिया में भी जल भरा जा सकता है। ये सभी जीवंत उदाहरण थे।  

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