Text Practice Mode
सिन्धु घाटी सभ्यता
created Wednesday July 02, 17:58 by Neetesh Gour
0
549 words
28 completed
0
Rating visible after 3 or more votes
saving score / loading statistics ...
00:00
भीमबेटका गुफा पुरापाषाणिकआवासीय पुरास्थल हैयहआदि मानव द्वारा बनाए गए शैलचित्रों और शैलाश्रयों के लिए प्रसिद्ध है। इन चित्रों को पुरापाषण काल से मध्य पाषणकाल से मध्य पाषण काल के समय का माना जाता है। ये चित्र भारतीय उपमहाद्वीप में मानव जीवन के प्राचीनमत चिह्न है यह मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में स्थित है। इसकी खोज वर्ष 1957-58 में डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर द्वारा की कई थी। भीमबेटका क्षेत्र को भारतीय पुरात्तव सर्वेक्षण भोपाल मंडल के द्वारा अगस्त 1999 में राष्ट्रीय महत्व का स्थल घोषित किया। इसके बाद जुलाई 2003 से यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया। भारत में मनुष्य संबंधी सबसे पहला प्रमाण नर्मदा घाटी में मिला है। भारतीय नागरिक सेवा के अधिकारी रिजले प्रथम व्यक्ति थे जिनहोंने प्रथम बार वैज्ञानिक आधार पर भारत की जनसंख्या का प्रजातीय विभेदाकरण किया। सिन्धु सभ्यता रेडियोकार्बन सी 14 जैसी नवीन विश्लेषण-पद्धति के द्वारा सिन्धु सभ्यता की सर्वमान्य तिथि 2400 ईसा पूर्व से 1700 ईसा पूर्व मानी जाती है। इसका विस्तार त्रिभुजाकार है। सिन्धु सभ्यता की खोज 1921 में रायबहादुर दयाराम साहनी ने की। सिन्धु सभ्यता को आद्य ऐतिहासिक अथवा कांस्य युग में रखा जा सकता है। इस सभ्यता के मुख्य निवासी द्रविड़ एवं भूमध्यसागरीय थे। सर जाॅन मार्शल भारतीय पुरात्तव सर्वेक्षण विभाग के तत्कालीन महानिदेशक) ने 1924 ई. में सिन्धु घाटी सभ्यता नामक एक उन्नत नगरीय सभ्यता पाए जाने की विधिवत घोषणा की। सिन्धु सीयता के सर्वाधिक पश्चिमी पुरास्थल दाशक नदी के किनारे स्थित सुतकागेंडोर बलूचिस्तान, पूर्वी पुरास्थल हिण्डन नदी के किनारे आलमगीरपुर जिला मेरठ, उत्तरप्रदेश, उत्तरी पुरास्थल चिनाव नदी के तट पर अखनूर के निकट मॉंदा जम्मू-कश्मीर व दक्षिणी पुरास्थल गोदावरी नदी के तट पर दाइमाबाद जिला अहमदनगर, महाराष्ट्र। सिन्धु सभ्यता या सैंधव सभ्यता नगरीय सभ्यता थी। सैंधव सभ्यता से प्राप्त परिपक्व अवस्था वाले स्थलों में केवल 6 को ही बड़े नगर की संज्ञा दी गयी है, ये हैं- मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, गणवारीवाला, राखीगढ़ी, धौलावीरा एवं कालीवंगन। धौलावीरा भारत में सिन्धु घाटी सभ्यता की पहली साइट है जिसे यूनेस्को ने 2021 में विश्व विरासत स्थल की सूची में शामिल किया है। स्वतंत्रता-प्राप्ति पश्चात् हड़प्पा संस्कृति के सर्वाधिक स्थल गुजरात में खोजे गये है। सिन्धु घाटी सभ्यता का सबसे बड़ा स्थल मोहनजोदड़ो है, जबकि भारत में इसका सबसे बड़ा स्थल राखीगढ़ी घग्घर नदी है जो हरियाणा के हिसार जिला में स्थित है। इसकी खोज 1963ई. में सूरजभान ने की थी। लोथल एवं सुतकोतदा- सिन्धु सभ्यता का बन्दरगाह था। जुते हुए खेत और नक्काशीदार ईंटों के प्रयोग का साक्ष्य कालीबंगन। मोहनजादड़ो से प्राप्त स्नानागार संभवत: सैंधव सभ्यता की सबसे बड़ी इमारत है, जिसके मध्य स्थित स्नानकुण्ड है। इस स्नानकुण्ड में दो तरफ से उतरने के लिए सीढि़यॉं बनाई गयी थीं और चारों ओर कमरे बनाए गए थे। इसमें भरने के लिए पानी कुँए से निकाला जाता था, उपयोग के बाद इसे खाली कर दिया जाता था। शायद यहॉं विशिष्ट नागरिक विशेष अवसरों पर स्नान किया करते थे। अग्निकुण्ड नागरिक विशेष अवसरों पर स्नान किया हुए हैं। मोहनजोदड़ो से प्राप्त एक शील पर पर तीन मुख वाले देवता पशुपति नाथ की मूर्ति मिली है। उनके चारों ओर हाथी, गैंडा, चीता एवं भैंसा विराजमान है। मोहनजोदड़ो से नर्तकी की एक कांस्य मूर्ति मिली है। हड़प्पा की मोहरों पर सबसे अधिक एक श्रृंगी पशु का अंकन मिलता है। यहॉं से प्राप्त एक आयताकार मुहर में स्त्री के गर्भ से निकलता पौधा दिखाया गया है। मनके बनाने के कारखाने लोथल और चन्हूदड़ो में मिले हैं।
