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Hindi Typing For Mp Highcourt Exam and other (Neetesh Gour)

created Tuesday July 01, 17:21 by Neetesh Gour


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वादीगण द्वारा विचारण न्‍यायालय के समक्ष एक वाद संक्षिप्‍तत: इस आधार पर प्रस्‍तुत किया गया है कि वादग्रस्‍त भूमि के संबंध में वादीगण के पति एवं पिता को आर0एल0 मेहरा तत्‍कालीन तहसीलदार द्वारा प्रकरण क्रमांक-179/21 में पारित आदेश दिनांक-19/09/1962 के माध्‍यम से पट्टा प्रदान किया गया था। उक्‍त पट्टा प्राप्ति के पश्‍चात् वादीगण के पति एवं पिता द्वारा वादग्रस्‍त भूमि के राजस्‍व अभिलेख खसरा पंचशाला में अपना नाम इंद्राज कराया गया था तभी से वादीगण के पति एवं पिता वादीगण के साथ उक्‍त भूमि पर काबिज चले रहे हैं। वादग्रस्‍त भूमि वर्ष 1962 से खसरा पंचशाला में वादीगण के पति एवं पिता श्‍यामलाल भू-स्‍वामी के नाम से वर्ष 1996 तक दर्ज रही, किंतु वर्ष 2017 में वादीगण को यह ज्ञात हुआ कि उक्‍त वादग्रस्‍त भूमि के संबंध में वादीगण को जो स्‍वत्‍व, स्‍वामित्‍व वर्ष 1962 से 1996 तक बतौर भू-स्‍वामी दर्ज रहा है, काे प्रतिवादीगण द्वारा वादीगण को किसी पूर्व सूचना एवं सुनवाई का अवसर दिए बिना वादीगण का नाम खसरा पंचशाला से हटा दिया गया है। वादपत्र में यह भी अभिवचन है कि वादग्रस्‍त कृषि भूमि पर वादीगण वर्ष 1962 से वर्तमान समय तक विधिक अधिकारों के अधीन वास्‍तविक आधिपत्‍य में होकर कृषि कार्य कर रहे हैं। प्रतिवादी शासन द्वारा वादीगण को बिना कोई सूचना दिए अथवा सुनवाई का अवसर दिए बिना राजस्‍व अभिलेख के खसरे में बिना किसी अधिकार के संशोधन कर वादीगण का नाम हटाकर उसके स्‍थान पर शासकीय भूमि अंकित कर दिया है। उक्‍त कारण से खसरा पंचशाला में प्रतिवादी द्वारा वादीगण के पूर्वज स्‍व0 श्‍यामलाल का नाम काट देने का कृत्‍य प्रतिवादी शासन का अनाधिकृत एवं मनमाना कृत्‍य है। उक्‍त कारण से वादीगण वादग्रस्‍त भूमि के एकमात्र भू-स्‍वामी एवं आधिपत्‍यधारी होने के संबंध में की घोषणा प्राप्‍त करने के अधिकारी हैं। वादीगण इस आशय की आज्ञापक निषेधाज्ञा भी प्रतिवादी के विरूद्ध जारी किए जाने के अधिकारी हैं कि उक्‍त वादग्रस्‍त भूमि पर राजस्‍व अभिलेखों में वादीगण को बहैसियत भू-स्‍वामी दर्ज किया जावे तथा वादीगण इस आशय की स्‍थायी निषेधाज्ञा प्रतिवादी के विरूद्ध प्राप्‍त करने के अधिकारी हैं कि प्रतिवादी शासन वादीगण को उनके स्‍वत्‍व, स्‍वामित्‍व एवं आधिपत्‍य की वादग्रस्‍त कृषि भूमि से बेदखल करे, और ही किसी अन्‍य के माध्‍यम से करावे। वादपत्र में यह भी अभिवचन है कि दिनांक-04/10/2017 को वादीगण का नाम वादग्रस्‍त भूमि के राजस्‍व अभिलेख खसरे से वादीगण के स्‍वत्‍व, स्‍वामित्‍व की विवादित आराजी का नाम हटाने पर प्रतिवादी शासन का पुन: नाम अंकित करने से वादीगण को वादकारण उत्‍पन्‍न होते हुये वाद प्रस्‍तुत करने की आवश्‍यकता हुई है। अपने वाद को उचित रूप से मूल्‍यांकित होना व्‍यक्‍त करते हुये वादीगण ने स्‍वयं को वादग्रस्‍त भूमि के स्‍वत्‍व, स्‍वामित्‍व एवं आधिपत्‍यधारी होने एवं राजस्‍व अभिलेख में वादग्रस्‍त भूमि के उपयोग उपभोग में प्रतिवादीगण द्वारा उन्‍हें बाधा पहुंचाये जाने से स्‍थाई रूप से निषेधित किए जाने हेतु स्‍वत्‍व घोषणा, आज्ञापक निषेधाज्ञा एवं स्‍थायी निषेधाज्ञा का अनुतोष अनुज्ञात किये जाने की प्रार्थना की गई है। प्रतिवादी क्रमांक 01 ने विचारण न्‍यायालय के समक्ष अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत करके वादपत्र के समस्‍त अभिवचनों का खण्‍डन करते हुये अभिवचन किया है कि उक्‍त वादग्रस्‍त भूमि मध्‍यप्रदेश शासन वन विभाग के स्‍वत्‍व, स्‍वामित्‍व एवं आधिपत्‍य की भूमि होकर राजस्‍व रिकॉर्ड के रूप में होकर पहाड़ के रूप में इंद्राज है। उक्‍त वादग्रस्‍त भूमि शासकीय भूमि होने से वादीगण को कोई भी विधिक अधिकार प्राप्‍त नहीं है। वादग्रस्‍त भूमि शासकीय भूमि होने से वादीगण किसी भी प्रकार की स्‍थायी निषेधाज्ञा प्राप्‍त करने के विधिक अधिकारी नहीं हैं।  

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