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Hindi Typing For Mp Highcourt Exam and other (Neetesh Gour)

created Yesterday, 17:04 by Neetesh Gour


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आज की भाजपा को देखें तो इसने आजादी के बाद सिर्फ अपना नाम बदला, बल्कि अपने सामाजिक आधार में भी बड़ा बदलाव किया है। 1951 से 1977 के बीच इसे जनसंघ के नाम से जानते थे। फिर 1977 से 1980 के बीच यह जनता पार्टी हुई और अंतत: 1980 में अटल बिहारी वाजपेयी और लालबकृष्‍ण आडवाणी ने इसे भारतीय जनता पार्टी के तौर पर स्‍थापित किया। बीते दशकों में पार्टी का जनाधार बहुत तेजी से बढ़ा है, जिसके चलते कुछ दशकों तक भारतीय राजनीति के हाशिए पर रही भाजपा आज पूर्ण चुनावी प्रभुत्‍व वाली पार्टी बन गई है। एक जमाने में इसे ब्राहम्‍ण बनिया पार्टी कहा जाता था। लेकिन तब से अब तक पार्टी के समर्थकों में हुये व्‍यापक बदलाव के चलते अब भाजपा ग्रामीण, बहुजन, निचले और गरीब तबके के मतदाताओं में गहरी जड़ें जमा चुकी है। यह सब इसलिये संभव हुआ, क्‍योंकि पार्टी ने नाम के साथ अपनी विचारधारा, चुनावी रणनीति और शासन के तौर तरीकों में भी बदलाव किया। मौजूदा भाजपा की हिन्‍दुत्‍व विचारधारा का विपक्ष के पास कोई तोड़ नहीं दिख रहा। राष्‍ट्रीय गौरव का आभास देने वाला बड़ा वोट बैंक और पार्टी की वित्‍तीय और संगठनात्‍मक ताकत ने आज इसे दुर्जेय बना दिया है। 1996 के लोकसभा चुनाव से अब तक हुये लोकनीति सीएसडीएस के विभिन्‍न चुनाव उपरांत सर्वेक्षणों से मिले प्रमाण यह इशारा करते हैं कि भाजपा ने उन मतदाता वर्गों में भी गहरी पैठ जमा ली है, जो दशकों तक उसे वोट नहीं देते थे। अन्‍य पिछड़ा वर्ग ओबीसी की आबादी को लेकर भले ही अभी विवाद हो, लेकिन इन सर्वेक्षणों के साक्ष्‍य बताते हैं कि भाजपा ने इन बड़े मतदाता वर्ग में भी व्‍यापक समर्थन हासिल किया है। 1996 के चुनाव में भी महज 19 प्रतिशत ओबीसी मतदाताओं ने भाजपा को वोट दिया था, लेकिन 2024 के चुनाव में यह भाजपा को इस वर्ग के 43 प्रतिशत वोट मिले। यह ओबीसी वोटरों में भाजपा के व्‍यापक तौर पर बढ़े जनाधार को बताता है। इसी प्रकार भाजपा ने दलित, आदिवासी कहे जाने वाले बहुजन समाज में भी अपनी पकड़ मजबूत की है। 1996 के चुनाव में पार्टी को दलित समुदाय के सिर्फ 14 प्रतिशत‍ वोट मिले, जो 2024 में बढ़ कर 31 प्रतिशत हो गए। आदिवासी मतदाताओं में भी पार्टी ने 1996 के 21 प्रतिशत मतों की तुलना में 2024 में 48 प्रतिशत वोट हासिल किए। परंपरागत तौर पर भाजपा को ऐसी पार्टी माना जाता था, जो उच्‍च और मध्‍यम वर्ग के मतदाताओं के बीच लोकप्रिय थी। गरीब तबके के वोटरों में पार्टी को उतना पसंद नहीं किया जाता था। लेकिन विभिन्‍न आर्थिक वर्ग के मतदाताओं के दृष्टिकोण से भी पार्टी के जनाधार में जबरदस्‍त परिवर्तन हुआ है। अब पार्टी उच्‍च और मध्‍यम आय वर्ग के साथ ही गरीब वर्ग के मतदाताओं में भी समान रूप से लो‍कप्रिय है। 2014 के लाेकसभा चुनाव में गरीब तबके से जुड़े वोटरों के 24 प्रतिशत मत भाजपा को मिले थे, जो 2024 में बढ़कर 37 प्रतिशत हो गए। भाजपा शासित राज्‍यों में लगातार गरीबों को लाभ देने वाली योजनाएं संचालित की गई और इसी के कारण यह संभव हो पाया। बहुत कम हो सही, लेकिन मुस्लिम मतदाताओं के बीच भी पार्टी ने समर्थन हासिल किया है।

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