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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Jun 3rd, 04:47 by lucky shrivatri
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जल किसी भी व्यक्ति के जीवन की सबसे बड़ी आवश्यकता होता है। जल बिन जीवन संभव नहीं है। इसलिए हर व्यक्ति हर परिवार की दिनचर्या की शुरूआत जल की व्यवस्था से ही होती है। और यह एक उजागर तथ्य हैं कि देश में जल प्रंबधन की स्थिति अच्छी नहीं है। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र में दुरूह ढाणियों और कस्बों में तो पानी का इंतजाम कर पाना दुष्कर कार्य है। मीलों दूर से पानी लाने तक की मजबूरी से करोड़ों परिवार रूबरू है। हर परिवार का घंटों का समय और श्रम प्रतिदिन इसमें जाया हो रहा है। इसके बावजूद यह आश्वस्त होकर नहीं कहा जा सकता कि घर की जरूरत के लिए पर्याप्त पानी उन्हें मिल ही जाएगा और वह शुद्ध होगा।
ऐसे करोड़ों परिवारों की हर रोज की पानी के लिए भटकने की जद्दोजहद और तकलीफ दूर करने के लिए ही केंद्र सरकार ने राज्यों के सहयोग से 2019 में जल जीवन मिशन की अवधारणा दी। इस अवधारणा का फायदा हुआ है और तस्वीर भी बदली है। प्रारंभिक आकलन में जिन सोलह करोड़ परिवारों को जल से सर्वथा वंचित माना गया था, उनमें 12 करोड़ परिवारों के घरों में नल की व्यवस्था हो चुकी है। इसमें कोई संदेह नहीं कि लक्ष्य की लगभग 80 प्रतिशत उपलब्धि का यह आंंकड़ा अच्छा है, लेकिन इस पर संतोष नहीं किया जा सकता। इसलिए कि मूल परियोजना में यह सारा काम वर्ष 2024 तक पूरा कर देना था। परियोजना की यही गति चलती रही तो अभी डेढ़ साल और लगेगा। इसका अर्थ है कि परियोजना लगभग दो साल विलंबित हो चुकी है। यह सवाल नीति नियंताओं को सोचना होगा कि देश की लगभग हर परियोजना विलंबित क्यों होती है।
ऐसे करोड़ों परिवारों की हर रोज की पानी के लिए भटकने की जद्दोजहद और तकलीफ दूर करने के लिए ही केंद्र सरकार ने राज्यों के सहयोग से 2019 में जल जीवन मिशन की अवधारणा दी। इस अवधारणा का फायदा हुआ है और तस्वीर भी बदली है। प्रारंभिक आकलन में जिन सोलह करोड़ परिवारों को जल से सर्वथा वंचित माना गया था, उनमें 12 करोड़ परिवारों के घरों में नल की व्यवस्था हो चुकी है। इसमें कोई संदेह नहीं कि लक्ष्य की लगभग 80 प्रतिशत उपलब्धि का यह आंंकड़ा अच्छा है, लेकिन इस पर संतोष नहीं किया जा सकता। इसलिए कि मूल परियोजना में यह सारा काम वर्ष 2024 तक पूरा कर देना था। परियोजना की यही गति चलती रही तो अभी डेढ़ साल और लगेगा। इसका अर्थ है कि परियोजना लगभग दो साल विलंबित हो चुकी है। यह सवाल नीति नियंताओं को सोचना होगा कि देश की लगभग हर परियोजना विलंबित क्यों होती है।
