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महाभारत की कथा
created Tuesday May 27, 03:04 by sahucpct02
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महाभारत की कथा महर्षि पराशर के कीर्तिमार पुत्र वेद व्यास की देन है। व्यास जी ने महाभारत की यह कथा सबसे पहले अपने पुत्र शक्रुदेव को कंठस्थ कराई थी और बाद में अपने दूसरे शिष्यों को। मानव-जाति में महाभारत की कथा का प्रसार महार्षि वैशंपायन के द्वारा हुआ। वैशंपायन व्यास जी के प्रमुख महर्षि वैशंपायान के द्वारा हुआ। वैशंपायन व्यास की के प्रमुख शिष्य थे। ऐसा माना जाता है कि महाराजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने एक ससूत जी भी मौजूद थे। सूत जी ने समस्त ऋषियों की एक सभा बुलाई। महर्षि शौनक इस सभा के अध्यक्ष हुए।
सूत जी ने ऋषियों की सभा में महाभारत की कथा प्रांरभ की कि महाराजा शांतनु के बाद की कथा प्रारंभ की कि महाराजा शांतनु के बाद उनके पुत्र चित्रांगद हस्तिनापुर की गद्दी पर बैठे। उनकी आकाल मृत्यु हो जाने पर उनके भाई विचित्रवीर्य राजा हुए। उनके दो पुत्र हुए-धृतराष्ट्र और पांड़ । बडे बैटे धृतराष्ट्र जन्म से ही अंधे थे, इसलिए उस समय की नह नीति के अनुसार पांडु को गदृदी पर बैठाया गया।
पांडु ने कई वर्षों तक राज्य किया। उनकी दो रानियॉं थे थीं-कुंती और माद्री। कुद क्ज्ञफ कुछ समय राज्य करने के बादउ पांडु अपने क किसी अपराध के पा्र प्रायश्चित के लिए तपस्या करने जंगल में गए। उनकी दोनों रानियॉं भी उनके साथ ही गईं। वनवास के समय कू कुंती और माद्री ने पॉंच पांडवों को जन्म दिया।
सूत जी ने ऋषियों की सभा में महाभारत की कथा प्रांरभ की कि महाराजा शांतनु के बाद की कथा प्रारंभ की कि महाराजा शांतनु के बाद उनके पुत्र चित्रांगद हस्तिनापुर की गद्दी पर बैठे। उनकी आकाल मृत्यु हो जाने पर उनके भाई विचित्रवीर्य राजा हुए। उनके दो पुत्र हुए-धृतराष्ट्र और पांड़ । बडे बैटे धृतराष्ट्र जन्म से ही अंधे थे, इसलिए उस समय की नह नीति के अनुसार पांडु को गदृदी पर बैठाया गया।
पांडु ने कई वर्षों तक राज्य किया। उनकी दो रानियॉं थे थीं-कुंती और माद्री। कुद क्ज्ञफ कुछ समय राज्य करने के बादउ पांडु अपने क किसी अपराध के पा्र प्रायश्चित के लिए तपस्या करने जंगल में गए। उनकी दोनों रानियॉं भी उनके साथ ही गईं। वनवास के समय कू कुंती और माद्री ने पॉंच पांडवों को जन्म दिया।
