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CPCT CENTER UMARIA (RAM-9301406862)

created May 26th, 11:38 by


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एक महिला हैं। अमेरिका में रहती हैं। छुट्टियों में घर आई हुई थीं। बातों-बातों में बताने लगीं की अमेरिका में गरीब मजदूर वर्ग मैकडोनाल्‍ड, केएफसी, और पिज्‍जा हट का बर्गर, पिज्‍जा और चिकेन खाते हैं। अमेरिका और यूरोप में रईस और करोड़पती ताजी सब्जियों उबाल कर खाते हैं। ताजे गुंथे आटे की गर्मागर्म रोटी खाना तो लग्‍जरी माना जाता है। ताजे फलों ओर सब्जियों का सलाद तो वहां भाग्‍यशाली लोगों को ही नसीब होती है। ताजी हरी पत्‍तेदार सब्जियों अमीर लोग ही खरीद कर खाते हैं।  
गरीब डिब्‍बा बंद खाना खाते हैं। वे हफ्ते भर का राशन अपने तहखानों में रखे फ्रीजर में रख लेते हैं और उसी को माईक्रोवेव ओवन में गर्म कर-कर के खाते रहते हैं। आजकल भारतीय शहरों के नवधनाढ्य अपने बच्‍चों का जन्‍मदिन मैकडोनाल्‍ड में मनाते हैं। उधर, अमेरिका में ठीक-ठाक सा कोई भी माध्‍यम वर्गीय व्‍यक्ति मैकडोनाल्‍ड में अपने बच्‍चे का जन्‍मदिन मनाने के बारे में सोच भी नहीं सकता। वे सोचते हैं, लोग क्‍या सोचेंगे? इतने बुरे दिन गए? इतनी गरीबी गई कि अब बच्‍चों का जन्‍मदिन मैकडोनाल्‍ड में मनाना पड़ रहा है।  
दूसरी ओर, भारत का गरीब से गरीब आदमी भी ताजी सब्‍जी, ताजी उब्‍ली हुई दाल-भात खाता है। ताजा खीरा-ककड़ी खाता है। लेकिन हमारे दिलों-दिमाग पर गुलामी की मानसिकता किस कदर तारी है, इसी से समझ लीजिए कि यूरोप और अमेरिका हमारी तरह भोजन खाने के लिए तरस रहे हैं। और हम हैं कि फ्रिज में रखे बासी डिब्‍बाबंद खाद्य खाने के लिए तरस रहे हैं।  

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