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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा (म0प्र0) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created May 23rd, 08:50 by lovelesh shrivatri


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प्‍लास्टिक प्रदूषण कितना घातक सिद्ध हो रहा है, अब यह बात छिपी हुई नहीं है। यह जमीन ही नहीं, सम्रुद को भी प्रदूषित कर रहा है। माइक्रोप्‍लास्टिक के रूप में जो नया खतरा सामने आया है, उससे वैज्ञानिक भी चिंतित नजर रहे है। रक्‍त, फेफड़े, यकृत मस्तिष्‍क ही नहीं गर्भ तक माइक्रोप्‍लास्टिक पहुंच गया है। जब बड़े पैमाने पर प्‍लास्टिक प्रदूषण फैला हुआ है तो दूसरे जीव भी कैसे सुरक्षित रह सकते है। इसलिए हाथियों को प्‍लास्टिक की वजह से हो रहे नुकसान की खबरों पर आश्‍चर्य नहीं होना चाहिए। हाथियों के आवागमन के गलियारों तक प्‍लास्टिक की पहुंच इंसानी गतिविधियों के चलते ही हुई होगी या‍ फिर नदी-नालों के जरिए उन तक पहुंचा होगा। देश में करीब 150 हाथी गलियारे हैं, जाहिर है वे भी प्‍लास्टिक की पहुंच से अछूते नहीं रहे। इसलिए हाथियों के पेट में भी बड़ी मात्रा में जमा होने के मामले सामने रहे है।  
एक तरह से प्‍लास्टिक सर्वव्‍यापी हो गया है, जिससे खतरे की गंभीरता का पता चलता है। इस खतरे का एक पहलू यह भी है कि भारत प्रदूषण के मामले में दुनिया में पहले नंबर पर है। नेचर जर्नल में प्रकाशित एक अध्‍ययन में बताया गया था कि उच्‍च आय वाले देशों में कचरा उत्‍पादन दर अधिक है, लेकिन वहां के नियंत्रित निपटान की व्‍यवस्‍था है। इसलिए वहां प्रदूषण कम है। भारत इस मोर्चे में बहुत पीछे है। प्‍लास्टिक प्रदूषण जिस तेजी से बढ़ रहा है, उससे पूरी पृथ्‍वी को ही खतरा पैदा हो गया है।   

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