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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा (म0प्र0) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
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सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के रिक्त पदों को ऑनलाइन काउंसलिंग के माध्यम से भरे जाने की व्यवस्था कहने काो तो पारदर्शी हैं लेकिन चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए इस पारदर्शी सिस्टम में भी विभागीय स्तर पर सैंध लगाने का काम हो रहा है। बात चाहे पदोन्नति की हो या फिर सीधी भर्ती की, शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों पदस्थापन में समानता बरती जाए तो शिक्षकों की कमी की समस्या आसानी से दूर हो सकती है। नियम कायदों के विपरीत पदस्थापन ने शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में विसंगतियां कायम रख रही है। हाल ही शिक्षकों से लेकर संस्था प्रधानों तक की पदोन्नति प्रक्रिया में भी ऑनलाइन काउंसलिंग प्रक्रिया पर ही सवाल खड़े हुए है। चयनित शिक्षकों के नए पदस्थापन वाले स्थान पर कार्यग्रहण करने की तिथियां बार-बार बढ़ाई जा रही है। आरोप ये लग रहे हैं कि चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए रिक्त स्थानों की पूरी सूची सार्वजनिक ही नहीं की गई। पदस्थापन के लिए शिक्षकों की ऑनलाइन काउंसलिंग जो प्रक्रिया अपनाई जा रही है में शिक्षकों से तीन इच्छित स्थान वरीयताा क्रम से मांगे भी गए। लेकिन रिक्त पद वाले सभी स्कूलों की सूची सार्वजनिक नहीं होने से शहरी क्षेत्र या सड़क मार्ग के नजदीकी स्कूलों को चहेतों के लिए खाली रखने पर शिक्षको के वंचित वर्ग में रोष स्वाभाविक है।
पदस्थापन की न्यायसंगत प्रक्रिया, जो पहले तक अपनाई जाती रही है उसमें सबसे पहले दिव्यांग, असाध्य रोगी, विधवा, परित्यक्ता व एकल महिला पूर्व सैनिक सामान्य महिला और सामान्य पुरूष का क्रम रखा गया था। इच्छूक शिक्षकों को रिक्त पदां की जानकारी दी जाती थी और इसी वरीयता क्रम में शहरी ग्रामीण व शहरों के नजदीक स्कूलों का पदस्थापना के लिए चयन होता था।
पदस्थापन की न्यायसंगत प्रक्रिया, जो पहले तक अपनाई जाती रही है उसमें सबसे पहले दिव्यांग, असाध्य रोगी, विधवा, परित्यक्ता व एकल महिला पूर्व सैनिक सामान्य महिला और सामान्य पुरूष का क्रम रखा गया था। इच्छूक शिक्षकों को रिक्त पदां की जानकारी दी जाती थी और इसी वरीयता क्रम में शहरी ग्रामीण व शहरों के नजदीक स्कूलों का पदस्थापना के लिए चयन होता था।
