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CPCT CENTER UMARIA (RAM-9301406862)
created Thursday May 15, 12:15 by jindgi7717
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जवाबदेही के बिना सुशासन की कल्पना नहीं की जा सकती है। भ्रष्टाचार का दीमक पूरी व्यवस्था की जड़ों को खोखला कर देता है और उसके लिए अनुकूल वातावरण तैयार करती है उत्तरदायित्वहीनता। जब किसी कमी, किसी गलती, किसी चूक या जान-बूझकर किए गये किसी कृत्य के लिए कोई जवाबदेह नहीं होगा, तो वैसे माहोल में सुशासन कका दम घुटना तय है। इस मामले में भी अहिल्याबाई का काल अनुकरणीय है।
एक ओर ममतामयी तो दूसरी ओर जान-बूझकर अपराध करने वालों को दंड देने में कठोर। राजमाता कर्मचारियों पर बराबर नजर रखती थीं। उन्होंने अधिकार-संपन्न लोगों के लिए शक्ति का दुरुपयोग कर पाना अत्यंत कठिन कर दिया था। कर्मचारियों से लेकर बडे़-बड़े सूबेदारों तक को इस बात का अच्छी तरह अनुमान था कि नियम विरुद्ध काम करके उनका बचना कठिन है ओर राजमाता को पता चला तो सजा पाने से उन्हें कोई नहीं बचा सकता है। स्वतंत्रता नेत्रत्व परिस्थितिकीतंत्र का उद्गम उद्भव आत्मार्पित एवं सांस्कृतिक विद्यानुंग्वशृी।
एक ओर ममतामयी तो दूसरी ओर जान-बूझकर अपराध करने वालों को दंड देने में कठोर। राजमाता कर्मचारियों पर बराबर नजर रखती थीं। उन्होंने अधिकार-संपन्न लोगों के लिए शक्ति का दुरुपयोग कर पाना अत्यंत कठिन कर दिया था। कर्मचारियों से लेकर बडे़-बड़े सूबेदारों तक को इस बात का अच्छी तरह अनुमान था कि नियम विरुद्ध काम करके उनका बचना कठिन है ओर राजमाता को पता चला तो सजा पाने से उन्हें कोई नहीं बचा सकता है। स्वतंत्रता नेत्रत्व परिस्थितिकीतंत्र का उद्गम उद्भव आत्मार्पित एवं सांस्कृतिक विद्यानुंग्वशृी।
