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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤ आपकी सफलता हमारा ध्येय ✤|•༻
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न्यायाधीश यशवंत वर्मा मामले में शीर्ष न्यायालय की ओर से नियुक्त तीन न्यायाधीशों की जांच समिति का निष्कर्ष बेहद गंभीर है। समिति की जांच रपट से उजागर तस्वीर चिंताजनक है। गौरतलब है कि आरोपी न्यायाधीश ने अपने ऊपर लगे आरोपों को षड्यंत्र बताया था, लेकिन जांच समिति ने गहन छानबीन के बाद उन सभी आरोपों की पुष्टि कर दी है। साथ ही, प्रधान न्यायाधीश ने उन्हें पद छोड़ने को कह दिया है। अब इस प्रकरण को हल्के में नहीं लिया जा सकता। इसमें कोई दोराय नहीं कि अगर किसी मामले में जजों पर उंगली उठे तो त्वरित कार्रवाई न्यायपालिका की साख के लिए आवश्यक है। न्यायाधीश वर्मा के घर में आग लगने के बाद वहां से जली हुई नोटों की गड्डियां मिलने पर शीर्ष न्यायालय ने मामले को गंभीरता से लिया था। उससे उम्मीद बंधी थी कि इसमें पारदिर्शता के साथ कदम उठाए जाएंगे। दरअसल, बीते मार्च में दिल्ली उच्च न्यायालय के तत्कालीन न्यायाधीश वर्मा के सरकारी निवास पर आग लगी थी, जिसे बुझाते वक्त वहां भारी मात्रा में नकदी मिली थी। इस पर उनसे जवाब तलब किया गया, तो उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार कर दिया था। प्रारंभिक जांच के बाद उनसे न्यायिक कार्य वापस लेकर उन्हें इलाहाबाद उच्च न्यायालय भेज दिया गया था। इस प्रकरण में जांच शुरू होने और जांच समिति का निष्कर्ष आने तक पूरे घटनाक्रम पर शीर्ष न्यायालय ने अपनी नजर बनाए रखी। इस मामले में उसका कड़ा रुख था।
समिति को तार्किक नतीजे पर पहुंचने में काफी मशक्कत करनी पड़ी है। उसने इस मामले से संबंधित सभी लोगों से पूछताछ की और तमाम साक्ष्यों का विश्लेषण किया। इसके बाद कुछ छिपा नहीं रह गया। अंतत: समिति ने न्यायाधीश पर लगे आरोपों को सही बताया। जब भी किसी न्यायाधीश पर भ्रष्ट आचरण का आरोप लगता है, तो उससे आम आदमी का न्याय प्रणाली से भरोसा डगमगाने लगता है। इसलिए ऐसे मामलों की न केवल तुरंत पारदर्शी जांच, बल्कि उचित कार्रवाई की अपेक्षा भी की जाती है। जांच समिति की रपट की बाद उम्मीद बनी है कि न्यायाधीश वर्मा के खिलाफ त्वरित, उचित और मिसाल बनने लायक निर्णय होगा।
समिति को तार्किक नतीजे पर पहुंचने में काफी मशक्कत करनी पड़ी है। उसने इस मामले से संबंधित सभी लोगों से पूछताछ की और तमाम साक्ष्यों का विश्लेषण किया। इसके बाद कुछ छिपा नहीं रह गया। अंतत: समिति ने न्यायाधीश पर लगे आरोपों को सही बताया। जब भी किसी न्यायाधीश पर भ्रष्ट आचरण का आरोप लगता है, तो उससे आम आदमी का न्याय प्रणाली से भरोसा डगमगाने लगता है। इसलिए ऐसे मामलों की न केवल तुरंत पारदर्शी जांच, बल्कि उचित कार्रवाई की अपेक्षा भी की जाती है। जांच समिति की रपट की बाद उम्मीद बनी है कि न्यायाधीश वर्मा के खिलाफ त्वरित, उचित और मिसाल बनने लायक निर्णय होगा।
