Text Practice Mode
BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤ आपकी सफलता हमारा ध्येय ✤|•༻
created Thursday April 24, 05:12 by typing test
0
470 words
102 completed
0
Rating visible after 3 or more votes
saving score / loading statistics ...
00:00
काफी समय से यह माना जाता रहा है कि बुजुर्गों में अकेलापन बढ़ गया है। इसका कारण संयुक्त परिवार का न होना, बच्चों का विदेश या बाहर के शहरों में बस जाना, रिटायरमेंट, जीवनसाथी का न रहना और दोस्तों से संपर्क टूटना आदि हैं, मगर अब गए शोध के अनुसार अकेलापन युवाओं को भी बहुत परेशान कर रहा है। यह असमय ही उन्हें मृत्यु की ओर धकेल रहा है। इसका एक कारण हमउम्र लोगों से कम संपर्क और परिवार से दूरी है। नौकरियां भी अब ऐसी हो चली हैं, जहां युवा चौवीस घंटे के नौकर हैं। उन्हें हर हाल में टारगेट पूरे करने होते हैं। भले ही इसके लिए कितने ही घंटे काम क्यों न करना पड़े। इस अतिरिक्त व्यस्तता के कारण वे अपने आसपास और दोस्तों से कट रहे हैं। आपको अमेरिका में रहने वाले सर्वश्रेष्ठ गुप्ता का केस तो याद ही होगा। यह युवा बहुत तेजस्वी और मेधावी था। अमेरिका के एक बड़े संस्थान में काम करता था। वह दफ्तर में काम करता था, फिर भी अधिकारी कहते थे कि और करो। न उसके पास घर जाने का समय था और न ही सोने का। तब परिवार और दोस्तों के लिए समय कहां से आता। एक दिन युवा ने जिंदगी से हार मान ली। जिनके लिए 16-18 घंटे काम किया, उन्हें भला क्या फर्क पड़ा। उसकी जगह कोई और आ गया। विशेषज्ञ कहते हैं कि अपनों से कट जाने का मतलब एक तरह की असामयिक मृत्यु है। अकेलापन धूमलापन धूमपान करने से भी अधिक खतरनाक है। कुछ दिन पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बढ़ते अकेलापन पर चिंता प्रकट की। उसके अनुसार अकेलापन दुनिया में महामारी की तरह फैल रहा है। डाक्टरों का कहना है कि अकेलापन के कारण लोगों को नींद आती। उन्हें तरह-तरह की समस्याएं होती हैं। अवसाद बढ़ता है। प्रतिरोधक प्रणाली कमजोर हो जाती है। मानसिक स्वास्थ्य कमजोर हो जाता है। दिल की बीमारियों के खतरे बढ़ जाते हैं और तरह-तरह के रोग घेर लेते हैं। अकेलापन किसी गंभीर बीमारी जैसा ही खतरनाक है। अकेलापन हमारी भावनाओं पर आघात करता है। यह हमें हमेशा दुखी रखता है। दुखी होने से चिंता और तनाव बढ़ता है। यह जीवन की कठिनाइयों को बढ़ाता है। रही सही कसर इंटरनेट मीडिया ने पूरी कर दी है। युवाओं का दफ्तर के कामकाज से जो समय बचता है, उसे वे इंटरनेट मीडिया पर खर्च करते हैं।
इंटरनेट मीडिया भी तरह-तरह की प्रतिस्पर्धा से भरा है। किसको कितनी रीच एवं लाइक्स मिले, यह एक चिंता का विषय बन जाता है। अकेलेपन के जो कारण बताए जाते हैं, उनमें बेरोजगारी और कम आय भी महत्वपूर्ण है। जो लोग नौकरी या अन्य किसी कारण अकेले रहते हैं, उनका अकेलापन भी बढ़ता है। गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोग भी अकेलेपन का शिकार होते हैं। बहुत से सामाजिक दबाव भी इसे बढ़ाते हैं। विशेेषज्ञों का कहना है कि अकेलेपन की समस्या से समय रहते निपटा जाना चाहिए।
इंटरनेट मीडिया भी तरह-तरह की प्रतिस्पर्धा से भरा है। किसको कितनी रीच एवं लाइक्स मिले, यह एक चिंता का विषय बन जाता है। अकेलेपन के जो कारण बताए जाते हैं, उनमें बेरोजगारी और कम आय भी महत्वपूर्ण है। जो लोग नौकरी या अन्य किसी कारण अकेले रहते हैं, उनका अकेलापन भी बढ़ता है। गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोग भी अकेलेपन का शिकार होते हैं। बहुत से सामाजिक दबाव भी इसे बढ़ाते हैं। विशेेषज्ञों का कहना है कि अकेलेपन की समस्या से समय रहते निपटा जाना चाहिए।
