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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा (म0प्र0) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Wednesday April 23, 05:53 by lovelesh shrivatri
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इसमें कोई संदेह नहीं है कि पिछले सालों में हमारे देश ने रेल सुविधाओं को लेकर उल्लेखनीय प्रगति की है। एक समय तेज गाड़ी के नाम पर एक राजधानी एक्सप्रेस ही हुआ करती थी, जबकि अब कई राजधानी एक्सप्रेस है। कई स्थानों से शताब्दी रेलगाडि़यां भी संचालित होती है। इन सुविधाओं की श्रृंखला में नवीनतम कड़ी अत्याधुनिक साधन-सुविधाओं से सुसज्जित और सर्वाधिक तेज गति वाली वंदे भारत रेल है, जिसका पूरे देश में जाल फैला हुआ है। रेलवे इन सुविधाओं के लिए निश्चित ही बधाई का पात्र है। इन सबके बीच रेलवे को यात्रियों को दी जाने वाली मूलभूत सुविधाओं से जुड़े कुछ पहलुओं पर भी विचार करना होगा। खानपान से जुड़ी सुविधाओं को लेकर तो अधिक सतर्कता बरतने की जरूरत है।
हाल में पटना की वंदे रेलगाड़ी में सफर कर रहे यात्री के खाने में कीड़ा निकलने की जानकारी सामने आई है। वंदे भारत के साथ दूसरी ट्रेनों में एक्सपायरी तारीख की खाद्य सामग्री बासी समोसे और अन्य गुणवत्ताहीन खानपान के उदाहरण इससे पहले भी सामने आ चूके है। भारतीय रेलवे के विशाल नेटवर्क की अपनी साख है। इस तरह की घटनाएं इस साख पर विपरीत असर डालती है। रेलवे को समझना होगा कि ऐसे उदाहरण से उसको होने वाले नुकसान की भरपाई आसान नहीं है क्योंकि बड़ी संख्या में यात्री रेलवे सुविधाओं का लाभ उठाते है। रेलवे की अति उत्तम वंदे भारत सेवा की ख्याति दुनियाभर में है। देश-दुनियां के यात्री उसमें सफर करते है। समझा जा सकता है कि अगर विदेशी पर्यटकों को परोसे जाने वाली खाद्य सामग्री में कुछ खराब निकल गया तो क्या संदेश लेकर जाएंगे। दूषित, बासी और कीड़े-मकोड़ों से युक्त खाद्य सेहत के लिए कितना खतरनाक हो सकती हैं, इसका भी अंदाजा लगाया जा सकता है। एक उपभोक्ता के रूप में रेलवे की भुगतान कर प्रत्येक याद्यी सुरक्षित व सुविधाजनक सफर की अपेक्षा रखता है। पैसा लेने के बाद उसके अनुरूप सुविधा उपलब्ध करवाना उसकी जिम्मेदारी भी है।
भविष्य में खानपान व अन्य सुविधाओं की सतत निगरानी के लिए पाददर्शी तंत्र बनाना होगा। यात्रियों की शिकायतों के त्वरित समाधान का बंदोबस्त भी करना होगा। यात्रियों को गन्तव्य तक सुरक्षित पहुंचाने के साथ उन्हें शुद्ध खानपान उपलब्ध कराना उसकी पहली जिम्मेदारी है।
हाल में पटना की वंदे रेलगाड़ी में सफर कर रहे यात्री के खाने में कीड़ा निकलने की जानकारी सामने आई है। वंदे भारत के साथ दूसरी ट्रेनों में एक्सपायरी तारीख की खाद्य सामग्री बासी समोसे और अन्य गुणवत्ताहीन खानपान के उदाहरण इससे पहले भी सामने आ चूके है। भारतीय रेलवे के विशाल नेटवर्क की अपनी साख है। इस तरह की घटनाएं इस साख पर विपरीत असर डालती है। रेलवे को समझना होगा कि ऐसे उदाहरण से उसको होने वाले नुकसान की भरपाई आसान नहीं है क्योंकि बड़ी संख्या में यात्री रेलवे सुविधाओं का लाभ उठाते है। रेलवे की अति उत्तम वंदे भारत सेवा की ख्याति दुनियाभर में है। देश-दुनियां के यात्री उसमें सफर करते है। समझा जा सकता है कि अगर विदेशी पर्यटकों को परोसे जाने वाली खाद्य सामग्री में कुछ खराब निकल गया तो क्या संदेश लेकर जाएंगे। दूषित, बासी और कीड़े-मकोड़ों से युक्त खाद्य सेहत के लिए कितना खतरनाक हो सकती हैं, इसका भी अंदाजा लगाया जा सकता है। एक उपभोक्ता के रूप में रेलवे की भुगतान कर प्रत्येक याद्यी सुरक्षित व सुविधाजनक सफर की अपेक्षा रखता है। पैसा लेने के बाद उसके अनुरूप सुविधा उपलब्ध करवाना उसकी जिम्मेदारी भी है।
भविष्य में खानपान व अन्य सुविधाओं की सतत निगरानी के लिए पाददर्शी तंत्र बनाना होगा। यात्रियों की शिकायतों के त्वरित समाधान का बंदोबस्त भी करना होगा। यात्रियों को गन्तव्य तक सुरक्षित पहुंचाने के साथ उन्हें शुद्ध खानपान उपलब्ध कराना उसकी पहली जिम्मेदारी है।
