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CPCT प्रशिक्षण केन्‍द्र जिला उमरिया (म.प्र.) (राम-9301406862)

created Apr 11th, 09:08 by jindgi7717


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दुनिया में मनुष्‍य ने जब-जब अपनी सत्‍ता स्‍थापित करना चाही, तब-तब महिलाओं पर अधिकार, उनके शोषण को उसने अपना हथियार बनाया। शायद यह शक्ति का पर्याय है। ''मैं शक्तिशाली हूं, मेरी सत्‍ता को समाज स्‍वीकार करें, इसलिए ताकत, आतंक बर्तरता का सहारा लिया जाता है और महिलाओं पर अधिकार साबित करने के लिए उन पर अत्‍याचार, अनाचार बलात्‍कार को प्राथमिकता दी जाती है। इस्‍लामी देशों में यह भाव मुख्‍य रूप से उभर कर आता है, जहां तो महिलाओं को बराबरी का अधिकार है और ही बोलने, सोचने समझनें का। अगर कहें कि इस्‍लामी देश महिलाओं की सशक्तिकरण की राह में सबसे बड़ा रोड़ा है तो यह गलत नहीं होगा।  
वर्तमान में भारत में उत्‍पन्‍न होने वाली बच्चियॉं भी कुछ इसका शिकार हो रहीं है जिसमें सुदृढ़ता होते हुए समाज का एक घिनौना एवं शर्मनाक व्‍यवहार है। क्‍या है सही है? क्‍या यही समाज की विकसित होने की पहचान है जो मुख्‍य रुप से एक अर्ध्‍द नग्‍न अवस्‍था में खड़ा है। पद्मावत की कहानी से सीख यही मिलती है कि जब- जब पुरूषों का शासन चलेगा महिलाओं को जौहर करना पड़ेगा।  

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