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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Apr 9th, 10:57 by Jyotishrivatri
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आबादी भूमि के स्वामित्व विवाद को अस्थाई रूप से समाप्त करने के लिए सरकार ने भू-स्वामित्व योजना की शुरूआत की। इसके लिए ड्रोन सर्वे हुए और कब्जे धारियों को उनके स्वामित्व कार्ड वितरित किए गए। सरकार की मंशा थी कि इस लोगों को अनावश्यक जमीनी विवादों का सामना ना करना पड़े। सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने से भी निजात मिले, लेकिन इस मंशा के विपरीत राजस्व से जुड़ा अमला इस सॉफ्टवेयर में तकनीकी खामी दिखा कर कई कॉलम रिक्त छोड़ दे रहा है। इससे राजस्व रिकॉर्ड में गड़बड़ी प्रदर्शित होने लगी हैं। ज्यादातर यह गड़बडियां तब सामने आती हैं जब भू-स्वामियों को दस्तावेज की जरूरत पड़ती हैं। भू-स्वामित्व कार्ड डाउनलोड करने के बाद ही कमियों का पता चलता है। ज्यादातर जिलों में हजारों एकड़ भूमि लावारिस जैसी स्थिति में है। जब तक उस भूमि पर कोई विवाद नहीं होता तो भूस्वामी उसके राजस्व रिकॉर्ड की देखरेख नहीं करते हैं, क्योंकि उनका कब्जा भूमि पर होता ही है। इसी का फायदा उठाकर राजस्व कर्मचारियों ने भू स्वामियों से संपर्क नहीं होने का हवाला देकर कई कॉलम रिक्त छोड़ दिए हैं। जब भू स्वामियों को दस्तावेज की जरूरत पड़ती है तो उसमें सुधार के लिए आवेदन दर आवेदन लगाने पड़ते हैं। अभी भी ऐसा हो रहा है। सबसे बड़ी समस्या उन लोगों को आ रही है जिन्हें बैंकों से लोन लेना पड़ रहा है। कई जमीनों में की चौहद्दी स्पष्ट रूप से अंकित नहीं हैं तो कहीं पर कॉलम रिक्त छोड़ दिए है। इसी तकनीकी खामी का फायदा उठा उठा कर भूमाफिया लावारिस जमीनों का खेल करने में जुट गए हैं। जमीनों के रिकॉर्ट में संशोधन के आवेदनों में कर्मचारी सुविधा शुल्क का खेल करते हैं, हालिया मामला उज्जैन का उजागर हुआ है जिसमें कर्मचारियों ने निजी भूमि को सरकारी दर्ज कर दिया, अब उसमें सुधार के लिए बड़े पैमाने पर खेल चल रहा है। इसी तरह खंडवा व खरगोन जिलों में भी राजस्व रिकॉर्ड अंकित करने में गड़बड़ी उजागर हुई है। छोटे खसरों में नक्शा नहीं बन रहा हैं, ऐसे भूस्वामियों की भूमि नक्शे में दर्ज नहीं हो रही है। सरकार की मंशा है कि भू स्वामियों को 24 घंटे ऑनलाइन रिकॉर्ड उपलब्ध हो, लेकिन मंशा पूरी करने के लिए सरकार को चाहिए कि ऐसे मामलों से निपटने के लिए कर्मचारियों पर भी सख्त कार्रवाई की जाए, जिससे इस तरह की प्रवृत्ति पर अंकुश लग सके।
