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CPCT प्रशिक्षण केन्‍द्र उमरिया (राम-9301406862)

created Apr 9th, 09:18 by jindgi7717


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शिव पुराण के अनुसार श्रीगणेश का सिर हाथी का होने के पीछे की कहानी कुछ यूं है कि एक बार माता पार्वती ने अपने शरीर पर हल्‍दी का उबटन लगाया था और जब उसे उतारा तो उसी से उन्‍होनें एक मूर्ति बनाकर उसमें प्राण डाल दिए और उसे आदेश दिया कि वे द्वारा की रक्षा करें और किसी को भी अंदर आने की अनुमति दें। द्वारा पर जब महादेव का आगमन होता है तो, प्रहरी बाल गणेश माता की आज्ञा के अनुरूप उन्‍हें अंदर नहीं जाने देते। फलस्‍वरूप बात युद्ध तक जाती है और महादेव क्रुद्ध होकर श्रीगणेश का सिर काट देते हैं। जब यह बात माता पार्वती को पता चलती है, तो वे अत्‍यंत क्रंद करती हैं और महादेव को श्रीगणेश की उत्‍पत्ति की पूरी कहानी सुना कर उन्‍हें पुनर्जीवित करने की प्रार्थना करती हैं। तब महादेव माता पार्वती को श्रीगणेश में पुन: प्राण फूंकने का आश्‍वासन देते हैं। मगर सिर तो महादेव द्वारा काट दिया गया था, अत: एक सिर की आवश्‍यकता होती है। महादेव, गरुड़ को आदेश देते हैं कि जो माता अपने पुत्र की ओर पीठ करके सोई हुई हो, वे उसका धड़ लेकर आएं, मगर बहुत देर भटकने के बाद भी गरुड़ की कोई भी ऐसी मां दिखाई नहीं देती, सिवाय एक हथनी के, जो कि अपनी प्राकृतिक बनावट के कारण अपने बच्‍चों की ओर मुख करके सो ही नहीं सकती। अत: इस प्रकार हाथी का धड़ श्रीगणेश को जोड़ दिया जाता है और उनका नामकरण दिया जाता है।  

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