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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created Thursday February 27, 09:33 by lovelesh shrivatri


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हमारा देश पर्वो और त्‍योहारों का देश कहा जाता है। यहां होली, दिवाली, रक्षाबंधन के साथ-साथ मनाई जाती है महाशिवरात्रि। शिव-पार्वती के विवाह केउपलक्ष्‍य में इसे मनाया है। पुराणों और स्‍मृतिग्रंथो के अनुसार इसी रात्रि को भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था, जो भारतीय धार्मिक परंपरा में एक विशेष स्‍थान रखता है। भगवान शिव का परिवार केवल एक आदर्श धार्मिक इकाई है, बल्कि यह विरोधाभासों के बीच सामंजस्‍य का सजीव उदाहरण भी प्रस्‍तुत करता है।  
शिव का कुटुंब अनादि काल से सर्वाधिक पुरातन परिवार के रूप प्रतिष्ठित है। इसमें कई असमानताएं है, फिर भी यह परस्‍पर सम्‍मान और व्‍यवहार का अनुठा संगम है। भूतभावन शिव स्‍वयं श्‍मशान में रहते है, पर पवित्र भागीरथी गंगा उनकी जटाओं में विराजमान है। संसार को जला देने वाला हालाहल विष उनके कंठ में है, जबकि अमृतवर्षी बालचंद्र मस्‍तक पर सुशोभित है। वे वृषभ (बेल) की सवारी करते है, पर माता पार्वती का वाहन सिंह है। उनके पुत्र लंबोदर गणपति का वाहन मूषक है, पर भगवान शिव के कंठ में उस चूहे को खाने वाले सर्पो की माला है। वहीं सांप को भी खा जाने वाले मयूर पर उनके पुत्र कार्तिकेय विराजमान है। स्‍पष्‍ट है कि विरोधों के बीच संतुलन बनाए रखना ही शिव परिवार का कल्‍याणकारी रूप है, जिसमें विष भी है और अमृत भी। समुद्र मंथन से निकले विष को सहर्ष पीने का साहस रखने वाले ही महादेव कहलाते है। विष और अमृत का संतुलन सिखाते हैं, जो परिवार की स्थिरता का आधार है।  
भगवान भोलेनाथ के 12 रूद्र अवतार है, जिनके बारे में धर्म शास्‍त्रों में उल्‍लेख मिलता है। जिसमें से 11 वें रूद्र अवतार महावीर हनुमान माने गए है। कहा जाता है कि राम भक्‍त हनुमान की माता अंजनी ने भगवान शिव को अपने पुत्र के रूप में प्राप्‍त करने के लिए तपस्‍या की थी।  

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