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created Feb 15th, 08:26 by sahucpct02
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अध्यक्ष महोदय, सरकार देश में खेती का विकास करने के लिए कृषि का विकास करने के लिए काफी कोशिशें कर रही हैं। अब हमें यह देखना है कि सचमुच में पैदावार कितनी बढ़ रही है और खेती के नए-नए तरीकों का किस प्रकार से प्रयोग किया जा रहा है। मेरा सुझाव है कि सरकार इस चीज की जॉंच के लिए एक कमीशन नियुक्त करें वह कमीशन किसानों की हालत को देखें और वह यह भी देखें कि खेती पर कितना खर्च होता है और उस खर्च को निकालने के बाद किसानों की बचत क्या है तभी हम किसी एक सही निश्चय पर आ सकते हैं। इसके बाद एक बात मैं और भी कहना चाहता हूँ। हमारे यहॉं गन्ने की समस्या बड़ी कठिन है। गन्ने के दाम ठीक तरह से नहीं मिलते हैं सरकार के हिसाब से तो दाम ज्यादा मिल रहा है, लेकिन मैं समझता हूँ कि किसान का खर्च इतना अधिक बढ़ गया है कि उसे अपना खर्च निकालना भी मुश्किल हो रहा है। यही नहीं गन्ने का दाम भी जितना होना चाहिए वह नहीं मिल रहा है इसलिए इसके ऊपर फिर से विचार करना पड़ेगा क्योंकि किसान की हालत अच्छी नहीं है। हमारे यहॉं पिछले बार गन्ने का दाम सही मिला तो लोगों ने काफी गन्ने की खेती की, लेकिन इस साल आज अप्रैल का महीना चल रहा है और मेरे क्षेत्र का केवल 20 प्रतिशत गन्ना ही मिलों में भेजा जा सका है। हम कहते हैं कि गन्ने की पैदावार काफी है मिल वाले कहते हैं कि पैदावार काफी नहीं है। मेरी समझ में नहीं आता है कि कौनसी बात कहॉं तक ठीक है। यहॉं एक बात मैं और कहना चाहता हूँ कि सरकारी खेती पर से जनता का विश्वास कम होता चला जा रहा है। सरकारी खेती से कोई लाभ दिखलाई नहीं पड़ता किसान मानता है कि सरकार यह खेती केवल अधिकारियों के भाइयों, उनके दोस्तों को नौकरी देने के लिए चला रही है यह सचमुच में ठीक मालूम पड़ता है। सरकारी खेती में किस प्रकार से काम हो रहा है उसका भी एक उदाहरण दिया जाना चाहिए।
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