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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Feb 1st, 07:00 by lucky shrivatri
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चिकित्सा सेवाओं को बेहतर बनाने की दिशा में हमारे देश में पिछले सालों में काफी काम हुआ है, इसमें संदेह नहीं है। लेकिन लोगों को सस्ती व सुलभ चिकित्सा सेवाएं मिलना आज भी दूर की कौड़ी बनी हुई है। सेहत की देखभाल महंगी होने की बड़ी वजह यह भी है कि आज तक स्वास्थ्य सेवाओं को आम आदमी तक पहुंचाने के सरकारी स्तर पर प्रयास इतने नहीं हुए जितने होने चाहिए थे। कर्नाटक हाईकोर्ट ने ताजा फैसले में टिप्पणी की है कि स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सुविधाएं नागरिकों का मौलिक अधिकार है और सरकारें इससे बच नहीं सकती। कोर्ट ने एक कमेटी बनाने के भी निर्देश दिए है जो प्रदेश में चिकित्सा कर्मियों, चिकित्सा सुविधांए तथा मूलभूत सुविधाओं की निगरानी करेगी।
कोर्ट ने यह टिप्पणी इसलिए की क्योंकि उसके संज्ञान में लाया गया था कि प्रदेश में सोलह हजार से ज्यादा चिकित्सा कर्मियों के पद खाली है। कर्नाटक ही नहीं देश के किसी भी हिस्से में चले जाएं चिकित्सा सुविधाओं की देशा एक जैसी मिलेगी। सरकारी अस्पताओं की हालत खास तौर से ग्रामीण क्षेत्रों में तो भगवान भरोसे ही है। कहीं अस्पताल है तो डॉक्टर नहीं और कहीं डॉक्टर हैं तो पर्याप्त सुविधाएं नहीं। सरकारें लोगों को सेहत का अधिकार देने के नाम पर मुफ्त इलाज की जो योजनाएं जारी करती है उनका फायदा भी सबको मिल पाता। पांच सितारा होटलों की माफिक अस्पताल तो जैसे आदमी की पहुंच से ही बाहर है।
यह ध्यान रखना होगा कि बढ़ती महंगाई की आम आदमी पर मार भी इसीलिए ज्यादा पड़ती है क्योंकि उसकी आय का अधिकांश हिस्सा तो महंगी शिक्षा और चिकित्सा में ही खर्च हो जाता है। जनता को राइट टू हेल्थ को लेकर सरकारें बाते तो खूब करती है लेकिन धरातल पर आम जनता को इसका फायदा होता नहीं दिखता। इस दिशा में ठोस प्रयासों की जरूरत है।
कोर्ट ने यह टिप्पणी इसलिए की क्योंकि उसके संज्ञान में लाया गया था कि प्रदेश में सोलह हजार से ज्यादा चिकित्सा कर्मियों के पद खाली है। कर्नाटक ही नहीं देश के किसी भी हिस्से में चले जाएं चिकित्सा सुविधाओं की देशा एक जैसी मिलेगी। सरकारी अस्पताओं की हालत खास तौर से ग्रामीण क्षेत्रों में तो भगवान भरोसे ही है। कहीं अस्पताल है तो डॉक्टर नहीं और कहीं डॉक्टर हैं तो पर्याप्त सुविधाएं नहीं। सरकारें लोगों को सेहत का अधिकार देने के नाम पर मुफ्त इलाज की जो योजनाएं जारी करती है उनका फायदा भी सबको मिल पाता। पांच सितारा होटलों की माफिक अस्पताल तो जैसे आदमी की पहुंच से ही बाहर है।
यह ध्यान रखना होगा कि बढ़ती महंगाई की आम आदमी पर मार भी इसीलिए ज्यादा पड़ती है क्योंकि उसकी आय का अधिकांश हिस्सा तो महंगी शिक्षा और चिकित्सा में ही खर्च हो जाता है। जनता को राइट टू हेल्थ को लेकर सरकारें बाते तो खूब करती है लेकिन धरातल पर आम जनता को इसका फायदा होता नहीं दिखता। इस दिशा में ठोस प्रयासों की जरूरत है।
