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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Jan 23rd, 07:33 by lucky shrivatri
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एक व्यक्ति संत के प्रवचन के बाद उनसे मिला और निराश मन से बोला, महाराज मैंने पाई-पाई जोड़कर अपने इकलौते पुत्र के लिए अथाह संपत्ति एकत्र की है, किंतु वह गाढ़े पसीने की कमाई को व्यसनों में लुटा रहा है। संत ने मुस्कुराकर पूछा, भाई तुम्हारे पिता ने तुम्हारे लिए कितनी संपत्ति छोड़ी थी? व्यक्ति वे बहुत गरीब थे, कुछ नहीं छोड़ पाए। इसके बावजूद तुम यह समझ रहे हो कि तुम्हारा बेटा तुम्हारे बाद गरीबी में दिन काटेगा। व्यक्ति पर महाराज मेरे से गलती कहां हुई है? संत तुम यह समझ कर धन कमाने में लगे रहे कि अपनी संतान के लिए दौलत का अंबार लगा देना ही पिता का कर्त्तव्य है। इस धुन में तुमने बेटे के संस्कारों पर कोई ध्यान नहीं दिया। जबकि पिता का कर्त्तव्य है कि वह उसे पहली पंक्ति में बैठने के योग्य बना दे, बाकी तो सब कुछ वह अपनी योग्यता के बलबूते हासिल कर लेगा। व्यक्ति की आंखे खुल गई पिता का कर्त्तव्य बताने वाले संत कवि थे लकी।
