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SAHU COMPUTER TYPING CENTER MANSAROVAR COMPLEX CHHINDWARA [M.P.] CPCT ADMISSION OPEN [संचालक- दुर्गेश साहू ] MOB.-8085027543 MPHC JJA EXAM TEST
created Jan 3rd, 06:05 by sahucpct
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बरसों पहले की बात है। मैं बीमार था। उस बीमारी में एक दिन मैंने सहज ही रेडियो लगाया और अचानक एक अद्वितीय स्वर मेरे कानों में पड़ा। स्वर सुनते ही मैंने अनुभव किया कि यह स्वर कुछ विशेष है, रोज का नहीं। यह स्वर सीधे मेरे कलेजे से जा भिड़ा। मैं हेरान हो गया। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि यह स्वर किसका किसका है। मैं तन्मयता से सुनता ही रहा। गाना समाप्त होते ही गायिका का नाम घोषित किया गया-लता मंगेशकर। नाम सुनते ही मैं चकित हो गया। मन-ही-मन एक संगति पाने का भी अनुभव हुआ। सुप्रसिद्ध गायक दीनानाथ मंगेशकर की अजब गायकी एक दूसरा स्वरूप लिए उन्ही की बेटी की कोमल आवाज में सुनने का अनुभव हुआ।
मुझे लगता है ‘बरसात’ के भी पहले के किसी चित्रपट का वह कोई गाना था। तब से लता निरंतर गाती चली आ रही है और मैं भी उनका गाना सुनता आ रहा हूँ। लता के पहले प्रसिद्ध गायिका नूरजहॉं का चित्रपट संगीत में अपना ज़माना था। परंतु उसी क्षेत्र में ऐसे चमत्कार कभी-कभी दीख पड़ते हैं। जैसे प्रसिद्ध सितारिये विलायत खॉं अपने सितारवादक पिता की तुलना में बहुत ही आगे चले गए।
मेरा स्पष्ट मत है कि भारतिय गायिकाओं में लता के जोड़ की गायिका हुई ही नहीं। लता के कारण चित्रपट संगीत को विलक्षण लोकप्रियता प्राप्त हुई है, यही नही लोगों का शास्त्रीय संगीत की ओर देखने का द्रष्टिकोण भी एकदम बदला है। छोटी बात कहूँगा। पहले भी घर-घर छोटे गाया करते थे पर उस गाने में और आजकल घरों में सुनाई देने वाले बच्चो के गाने में बड़ा अतर हो गया है। आजकल के नन्हे-मुन्ने भी स्वर में गुनगुनाते हैं। क्या लता इस जादू का कारण नहीं है? कोकिला का स्वर निरंतर कानो में पड़ने लगे तो कोई भी सूनने वाला उसका अनुकरण करने का प्रयत्न करेगा। ये स्वाभाविक ही हैं। चित्रपट संगीत के कारण सुंदर स्वर मालिकाएँ लोगो के कानों पर पड़ रही हैं।
मुझे लगता है ‘बरसात’ के भी पहले के किसी चित्रपट का वह कोई गाना था। तब से लता निरंतर गाती चली आ रही है और मैं भी उनका गाना सुनता आ रहा हूँ। लता के पहले प्रसिद्ध गायिका नूरजहॉं का चित्रपट संगीत में अपना ज़माना था। परंतु उसी क्षेत्र में ऐसे चमत्कार कभी-कभी दीख पड़ते हैं। जैसे प्रसिद्ध सितारिये विलायत खॉं अपने सितारवादक पिता की तुलना में बहुत ही आगे चले गए।
मेरा स्पष्ट मत है कि भारतिय गायिकाओं में लता के जोड़ की गायिका हुई ही नहीं। लता के कारण चित्रपट संगीत को विलक्षण लोकप्रियता प्राप्त हुई है, यही नही लोगों का शास्त्रीय संगीत की ओर देखने का द्रष्टिकोण भी एकदम बदला है। छोटी बात कहूँगा। पहले भी घर-घर छोटे गाया करते थे पर उस गाने में और आजकल घरों में सुनाई देने वाले बच्चो के गाने में बड़ा अतर हो गया है। आजकल के नन्हे-मुन्ने भी स्वर में गुनगुनाते हैं। क्या लता इस जादू का कारण नहीं है? कोकिला का स्वर निरंतर कानो में पड़ने लगे तो कोई भी सूनने वाला उसका अनुकरण करने का प्रयत्न करेगा। ये स्वाभाविक ही हैं। चित्रपट संगीत के कारण सुंदर स्वर मालिकाएँ लोगो के कानों पर पड़ रही हैं।
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