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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 ( जूनियर ज्यूडिशियल असिस्टेंट के न्यू बेंच प्रारंभ) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Thursday December 19, 07:07 by Sai computer typing
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एक बार एक नौजवान लड़का रेलवे स्टेशन पर पहुंचा और स्टेशन पर पहुंचकर टिकट काउंटर पर गया और वह वह जाकर कहने लगा की मुझे एक टिकट दे दो काउंटर पर बैठे व्यक्ति ने उससे पूंछा की आपको कहां का टिकट चाहिए लड़के ने कहा दे दो आपको बात समझ नहीं आ रही है मुझे टिकट दे दो। काउंटर पर बैठे व्यक्ति ने सोचा की ये शायद थोड़ा सा खिसका हुआ हैं इसलिए इस प्रकार की बातें कर रहा हैं काऊटर पे बैठे व्यक्ति ने फिर से पूंछा के अरे भाई साहब कहां का टिकट चाहिए बताईये तो। लड़के ने कहा अरे मैं तुमसे टिकट मांग रहा हूं तुम्हे देना नही हैं क्या मुझे टिकट दे दो अब काउंटर पर बैठे व्यक्ति को थोड़ा गुस्सा आ गया और उसने उस व्यक्ति को भगा दिया और कहां पीछे बहुत सारे लोग खड़े हुए हैं तुम यहा से चलें जाओं वरना मैं पुलिस को बुला लूंगा वो लड़का थोड़ा सा गुस्सा हुआ और वहां से चला गया और उसके बाद वो प्लेटफॉर्म पर आ गया जहां पर बहुत सारे लोग खड़े हुए थे और किसी का ट्रेन का इंतजार कर रहे थे अब थोडे देर के बाद ही वहां पर एक ट्रेन आ गयी अब सभी लोग उस ट्रेन में चढ़ने लगे वहां लड़का भी उस ट्रेन में चढ़ गया।
अब ट्रेन में बैठा व्यक्ति चला जा रहा है चला जा रहा है। लेकिन कुछ दिन के बाद वा बोर हो जाता हैं परेशान होने लगता है की ये मैं कहां जा रहा हूं फिर थोड़ा दिन के बाद उसे एक स्टेशन दिखता है और बहुत सारे लोग उतर रहे होते हैं और फिर वो भी वहां पर उतर जाता है लेकिन स्टेशन पर उतरने के बाद उस ये समझ में आता है की मुझे यहां आना ही नहीं था मुझे कहीं और जाना था।
अब फिर से आप अपने आप से पूछियेगा की कई बार आप किसी रास्ते पर निकल लेते हैं बिना लक्ष्य बनाये निकल लेते है और कुछ दिनों के बाद आपको यह महसूस होता हैं की आपको यह बनना ही नहीं था आपको तो यह कहना ही नहीं था आप तो किसी और चीज के लिए परुेक्ट हैं और आपको तो वो करना था आप सिर्फ लोगो के दिखाने के चक्कर में किसी चीज को बनाने की कोशिश् करते हैं जब की असल में वो आप होते ही नहीं है।
एक बिना लक्ष्य के यात्रा करने पर आपका पूरा जीवन खराब हो सकता है और वहीं पर एक महत्वपूर्ण चीज खराब होती ही हैं जो किसी वापस नहीं आ सकती और वो है आपका समय और इसलिए सबसे पहले आप सही जगह का चुनाव करें की आपको जाना कहा है।
अब ट्रेन में बैठा व्यक्ति चला जा रहा है चला जा रहा है। लेकिन कुछ दिन के बाद वा बोर हो जाता हैं परेशान होने लगता है की ये मैं कहां जा रहा हूं फिर थोड़ा दिन के बाद उसे एक स्टेशन दिखता है और बहुत सारे लोग उतर रहे होते हैं और फिर वो भी वहां पर उतर जाता है लेकिन स्टेशन पर उतरने के बाद उस ये समझ में आता है की मुझे यहां आना ही नहीं था मुझे कहीं और जाना था।
अब फिर से आप अपने आप से पूछियेगा की कई बार आप किसी रास्ते पर निकल लेते हैं बिना लक्ष्य बनाये निकल लेते है और कुछ दिनों के बाद आपको यह महसूस होता हैं की आपको यह बनना ही नहीं था आपको तो यह कहना ही नहीं था आप तो किसी और चीज के लिए परुेक्ट हैं और आपको तो वो करना था आप सिर्फ लोगो के दिखाने के चक्कर में किसी चीज को बनाने की कोशिश् करते हैं जब की असल में वो आप होते ही नहीं है।
एक बिना लक्ष्य के यात्रा करने पर आपका पूरा जीवन खराब हो सकता है और वहीं पर एक महत्वपूर्ण चीज खराब होती ही हैं जो किसी वापस नहीं आ सकती और वो है आपका समय और इसलिए सबसे पहले आप सही जगह का चुनाव करें की आपको जाना कहा है।
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