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पुनरीक्षण याचिका में आवेदक ने आलोच्य आदेश को विधि व तथ्यों के विपरीत होना व्यक्त करते हुए उसे अपास्त किये जाने का निवेदन किया है। आवेदक का कहना है, कि विद्वान विचारण न्यायालय ने इस बिंदु पर विचार नहीं किया कि जप्तशुदा वाहन उसके स्वामित्व का है एवं उसने वाहन को क्रय करने के पश्चात् उसके संचालन हेतु घटना से लगभग 2 माह पूर्व संजू कुशवाहा को किराए पर किरायानामा के अधीन दे दिया था। आवेदक का कहना है, कि उक्त संजू कुशवाहा उसे हर माह किराया अदा कर रहा था। आवेदक का कहना है कि घटना दिनांक को संजू कुशवाहा के द्वारा रखे गये ड्राईवर ने घटनास्थल पर वाहन छोड़कर भाग गया था, जिसका कोई पता ठिकाना नहीं है। आवेदक का कहना है, कि उसका वर्तमान अपराध से कोई सरोकार नहीं है, किंतु विद्वान विचारण न्यायालय ने उक्त तथ्यों की अनदेखी कर उसके आवेदन पत्र को निरस्त कर गंभीर त्रुटि की है। आवेदक का कहना है, कि विद्वान विचारण न्यायालय ने इस बिंदु पर विचार नहीं किया कि आरोपी को अपराध में दोषसिऋ किये जाने के पूर्व कोई राजसात की कार्यवाही नहीं की जा सकती है। आवेदक का कहना है कि विद्वान विचारण न्यायालय ने इस बिंदु की अनदेखी की है, कि आवेदक को यदि जप्तशुदा वाहन सुपुर्दगी पर नहीं दिया गया तो अपूर्णीय क्षति होगी। अत: आलोच्य आदेश को अपास्त करते हुए, जप्तशुदा वाहन को सुपुर्दगी पर दिए जाने का निवेदन किया है। आरोपी के योगय अधिवक्ता ने तर्कों में निवेदन किया है, कि आवेदक जप्तशुदा वाहन का पंजीकृत स्वामी है, जिसने वाहन को अनुबंध दिनांक 05.02.2022 के अधीन संचालन हेतु किराए पर दिया था एवं आवेदक को वाहन के संबंध में या उसके द्वारा कारित किये गये किसी अपराध की उसे न तो कभी कोई जानकारी है और न ही अपराध में उसकी काेई भूमिका है।
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