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MY NOTES 247 जूनियर ज्‍यूडिशियल असिस्‍टेंट हिंदी मोक टाइपिंग टेस्‍ट

created Dec 5th, 01:47 by 12345shiv


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वर्तमान मामले में, जैसा कि ऊपर उल्‍लेख किया गया है, उचित अधिकारी ने आयातकों द्वारा घोषित मूल्‍य की सच्‍चाई या सटीकता पर संदेह किया क्‍योंकि समकालीन डेटा का मूल्‍य काफी अधिक था। आयातकों के लिए यह खुला कि वे उचित अधिकारी से उनके द्वारा घोषित मूलय की सच्‍चाई या सटीकता पर संदेह करने के कारणों को लिखित रूप में सूचित करने और सुनवाई का उचित अवसर मांगने की मांग करें, लेकिन उन्‍होंने ऐसा नहीं किया। दूसरी ओर, आयातकों ने लिखित रूप में प्रस्‍तुत किया कि हालांकि उन्‍होंने आयातित माल का मूल्‍य एक विशेष मूल्‍य पर घोषित किया था, लेकिन समकालीन डेटा दिखाए जाने पर, वे सहमत हुए कि माल का मूल्‍य बढाया जाना चाहिए। जब उचित अधिकारी के पास किसी आयातित माल के संबंध में घोषित मूल्‍य की सच्‍चाई या सटीकता पर संदेह करने का कारण हो, तो वह ऐसे माल के आयातक से दस्‍तावेजों या अन्‍य साक्ष्‍यों सहित अतिरिक्‍त जानकारी प्रस्‍तुत करने के लिए कह सकता है और यदि ऐसी अतिरिक्‍त जानकारी प्राप्‍त करने के बाद, या ऐसे आयातक के उत्‍तर के अभाव में, उचित अधिकारी को घोषित मूल्‍य की सच्‍चाई या सटीकता के बारे में अभी भी उचित संदेह है तो यह माना जाएग कि ऐसे आयातित माल का लेनदेन मूल्‍य नियम 3 के उप-नियम के प्रावधानों के तहत निर्धारित नहीं किया जा सकता है। अपीलकर्ता यह तर्क देंगे कि उप-धारा में जिस रियायत की बात की गई है, वह अनिवार्य रूप से उचित अधिकारी द्वारा किए जा रहे पुनर्मूल्‍यांकन तक ही सीमित प्रतीत होती है और धारा या नियम 12 के तहत परिकल्पित राय के गठन पर सवाल नहीं उठाया जाता है। तथापि, यह रियायत आयातक के उस अधिकार को कम नहीं करेगी जिसके तहत वह किए गए मूल्‍यांकन की सत्‍यता पर प्रश्‍न उठा सकता है और जो अधिकार अधिनियम के विभिन्‍न प्रावधानों के तहत संरक्षित है।

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