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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 ( जूनियर ज्यूडिशियल असिस्टेंट के न्यू बेंच प्रारंभ) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Nov 26th, 04:02 by lucky shrivatri
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भारतीय संविधान, भारत में एक पंथ निरपेक्ष राज्य की स्थापना करता है जिसमें राज्य का कोई अपना धर्म नहीं हैं। सरकार किसी विशेष धर्म का पोषण नहीं करती है। राज्य धर्म के मामले में पूर्णत: तटस्थ है। राज्य न तो किसी धर्म की घोषणा ही करता है और न किसी धर्म का अनादर: वरन प्रत्येक धर्म का समान आदर करता है। भार में प्रत्येक नागरिक को अपने विश्वास के अनुसार किसी भी धर्म को मानने तथा किसी भी ढंग से ईश्वर की पूजा करने की पूर्ण स्वतन्त्रता है। धर्म केवल धार्मिक श्रद्धा एवं सिद्धांतों तक ही सीमित नहीं है वरन उसके प्रयास एवं प्रचार करने का भी अधिकार इसमें सम्मलित है। इसी उद्देश्य से राज्य पोषित शिक्षण संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा का प्रतिषेध है। किन्तु अन्य स्वतन्त्रताओं की ही तरह राज्य इस स्वतन्त्रता पर भी सार्वजनिक व्यवस्था, सदाचार और स्वस्थ बनाये रखने के लिए युक्तियुक्त निर्बन्धन लगा सकता है।
42 वें संविधान संशोधन द्वारा संविधान में एक नया भाग (4-क) जोड़कर नागरिकों के 10 मूल कर्त्तव्यों को समाविष्ट किया गया है। मूल संविधान में केवल नागरिकों के मूल अधिकारों का ही उल्लेख किया गया था। उनके कर्त्तव्यों के बारे में कोई स्पष्ट उपबन्ध नहीं था। प्रस्तुत सांविधानिक संशोधन संविधान में इस कमी को दूर करने के उद्वेश्य से पारित किया गया है। संविधान के अनुच्छेद 50क के अनुसार अब भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह संविधान का पालन करे तथा राष्ट्रध्वय और राष्ट्रगान का आदर करे, स्वतन्त्रता आन्दोलन के आदर्शो को हृदय में सजाये रखे और उसका पालन करें। भारत की प्रभुता एकता एवं अखंडता की रक्षा करें। आहृान करने पर सेना में भर्ती होकर देश की रक्षा करे, भारत के सभी लागों में समरसता और भ्रातृत्व का निर्माण करे, विरूद्ध प्रथाओं का त्याग करे, भारत की संस्कृति का परिरक्षण करे, प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और संवर्द्धन तथा प्राणि मात्र के प्रति दयाभाव रखे।
42 वें संविधान संशोधन द्वारा संविधान में एक नया भाग (4-क) जोड़कर नागरिकों के 10 मूल कर्त्तव्यों को समाविष्ट किया गया है। मूल संविधान में केवल नागरिकों के मूल अधिकारों का ही उल्लेख किया गया था। उनके कर्त्तव्यों के बारे में कोई स्पष्ट उपबन्ध नहीं था। प्रस्तुत सांविधानिक संशोधन संविधान में इस कमी को दूर करने के उद्वेश्य से पारित किया गया है। संविधान के अनुच्छेद 50क के अनुसार अब भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह संविधान का पालन करे तथा राष्ट्रध्वय और राष्ट्रगान का आदर करे, स्वतन्त्रता आन्दोलन के आदर्शो को हृदय में सजाये रखे और उसका पालन करें। भारत की प्रभुता एकता एवं अखंडता की रक्षा करें। आहृान करने पर सेना में भर्ती होकर देश की रक्षा करे, भारत के सभी लागों में समरसता और भ्रातृत्व का निर्माण करे, विरूद्ध प्रथाओं का त्याग करे, भारत की संस्कृति का परिरक्षण करे, प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और संवर्द्धन तथा प्राणि मात्र के प्रति दयाभाव रखे।
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