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MY NOTES 247 जूनियर ज्‍यूडिशियल असिस्‍टेंट हिंदी मोक टाइपिंग टेस्‍ट 17 *

created Nov 26th, 01:44 by 12345shiv


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आपराधिक शिकायत दर्ज करना एक नियम बनाया जाना चाहिए, और समझौता करना एक अपवाद। अपराध के शमन के प्रत्‍येक मामले में ,यदि सक्षम प्राधिकारी ट्रक और खनिजों को जब्‍त करना उचित नहीं समझता है और आपराधिक शिकायत दर्ज नहीं करने का निर्णय लेता है तो ऐसे अधिकारी या प्राधिकारी को पर्याप्‍त कारण दर्ज करने होंगे कि उनके विचार में शमन सार्वजनिक हित से समझौता किए बिना अपराध के लिए पर्याप्‍त निवारक क्‍या होगा। आज मामले को उठाए जाने पर, इस तथ्‍य का उल्‍लेख किया गया है कि इस न्‍यायालय के निर्णय के अनुसरण में, 4 मई 2012 को सरकारी आदेश जारी किया गया है और उसमें उपर्युक्‍त निर्णय का नोट लिया गया है और सरकारी आदेश अपने आप में शिकायत दर्ज करने का प्रावधान करता है और एुआईआर दर्ज करने का प्रावधान नहीं करता है। सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने एसीटी नई दिल्‍ली राज्‍य बनाम संजय, आपराध्किा अपील के मामले में निर्णय दिया समूह मामले का फैसला करते समय स्‍पष्‍ट रूप से यह दृष्टिकोण लिया है कि अधिकारी द्वारा की गई शिकायत को छोड़कर किसी व्‍यक्ति के अभियोजन के खिलाफ अधिनियम की धारा 22 में निहित निषेध यह आदेश किसी ऐसे कार्य या चूक के लिए नहीं दिया गया है जो भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत अपराध बनता हो। उक्‍त निर्णय का प्रासंगिक अंश इस प्रकार है अधिनियम के प्रावधानों को बारीकी से और सावधानी से पढ़ने पर प्रथम दृष्‍टया हमारा यह मानना है कि भारतीय दंड संहिता के तहत व्‍यक्तियों पर मुकदमा चलाने में कोई पूर्ण और निरपेक्ष प्रतिबंध नहीं है जहां व्‍यक्तियों द्वारा किए गए अपराध दंडनीय और संज्ञेय अपराध हैं। अधिनियम के तहत लगाए गए प्रतिबंधों और उसमें दिए गए उपायों के संबंध में कोई विवाद नहीं हो सकता है। किसी भी मामले में जहां किसी व्‍यक्ति द्वारा धारा 4 और अधिनियम की अन्‍य धाराओं के प्रावधानों का उल्‍लंघन करते हुए खनन गतिविधि की जाती है।

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