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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Saturday November 23, 08:59 by rajni shrivatri
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आज भी देश की दो-तिहाई आबादी ग्रामीण अर्थव्यवस्था से जुड़ी हुई है तथा उन सब के आर्थिक जीवन चक्र का प्रथम स्त्रोत कृषि ही है। अब समय आ गया है कि किसान को आत्मनिर्भर बनाते हुए उसे कृषि क्षेत्र की उद्यमिता के साथ जोड़ा जाए। यानी कि किसान कृषि किसान कहलाएं। यह सपना पूरा किया जा सकता है। सिर्फ जरूरत है आर्थिक नीतियों में कृषि क्षेत्र को प्राथमिकता देने की। प्राथमिकता के अंतर्गत मुख्यत: ध्येय कृषि के आधुनिकीकरण का हो। इसमें मुद्दा यह भी रहना चाहिए कि पढ़े-लिखे ग्रामीण युवाओं का कृषि क्षेत्र से मोह भंग न हो। उनको कृषि क्षेत्र की उद्यमिता आकर्षित करे। यह तभी संभव है जब दो बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित हो। एक, किसान को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने की सभी नीतियों का अधिक से अधिक प्रचार हो। दूसरा, विभिन्न आर्थिक नीतियों का किसान पर असर का वास्तविक फीडबैक सरकार तक पहुंचे। यह विश्लेषण करना बेकार है कि किसान की विभिन्न समस्याओं पर आर्थिक नीतियां बेअसर हैं। हां, जमीनी स्तर पर विभिन्न नीतियों की कार्यकुशलता में बहुत कमी है, उनके मूल्यांकन की जरूरत है। यह भी देखा गया है कि इनमें लंबे समय तक परिवर्तन नहीं होता है। कृषि के संबंध में आधुनिकीकरण में हमारी भौगोलिक संरचना और विशाल जनसंख्या हमेशा आड़े आती है। वित्तीय निवेश भी उसमें एक समस्या है। अगर बड़े-बड़े औद्योगिक घराने इस मामले में पहल करें, तो इसका सार्थक परिणाम आ सकता है। बड़े औद्योगिक घरानों के पास संसाधनों की कमी नहीं है। आधुनिकीकरण के क्षेत्र में काफी कुछ किया जा सकता है, जिसकी शुरुआत पेशेवर शिक्षा में कृषि को जोड़ने से हो। वर्तमान स्तर पर हमारे मुल्क में ऐसी युवाओं की संख्या बहुत कम है, जो कृषि क्षेत्र के अंतर्गत पेशेवर शिक्षा प्राप्त किए हुए है। अगर इसकी शुरुआत होती है तथा उसमें सरकार पढ़े-लिखे ग्रामीण युवाओं को अधिक से अधिक जोड़ती है, तो यह संभव है कि वे सब आने वाले समय में कृषि की उद्यमिता को भी अपना विकल्प चुनें। यह भी कोशिश होनी चाहिए कि आर्थिक नीतियों में कृषि उद्यमिता के संबंध में एक अलग सोच पूरी पारदर्शिता से स्थापित हो। पिछले कुछ वर्षों से जिस तरह से भारत के युवाओं ने सर्विस सेक्टर के अंतर्गत नए-नए स्टार्टअप से अपनी वैश्विक पहचान बनाई है, तो उसी तरह अब कृषि को प्राथमिकता देनी होगी। इसके लिए पेशेवर शिक्षण संस्थानों को भी एक पहल करनी होगी मीडिया व जनसंचार के संसाधनों को भी अपना सहयोग देना होगा। कृषि क्षेत्र को एक व्यवसाय की सोच रखते हुए अपनी विपणन व मार्केटिंग की नीतियों को बहुत आधुनिक बनाना होगा। उदाहरण के तौर पर आर्थिक रूप से मुनाफा कमाने वाले किसानों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से अपनी पहुंच दूसरे मुल्कों तक भी रखनी चाहिए। निश्चित रूप से इस संदर्भ में सरकार को आगे बढ़कर एक पहल करनी होगी तथा निर्यात के लिए उदारीकरण को प्राथमिकता देनी होगी। इसी तरह एक स्थान एक कृषि उपज की सोच को भी विकसित किया जा सकता है, बशर्ते किसान को आर्थिक नुकसान न हो, परंतु इसका मुख्य उद्देश्य उपज की गुणवत्ता को बढ़ाना हो, ताकि उससे वैश्विक साख को बनाया जा सके।
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