eng
competition

Text Practice Mode

साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 ( जूनियर ज्‍यूडिशियल असिस्‍टेंट के न्‍यू बेंच प्रारंभ) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created Nov 23rd, 08:40 by lovelesh shrivatri


2


Rating

303 words
19 completed
00:00
देश की न्‍यायिक प्रणाली को डिजिटल और आधुनिक बनाने के लिए पिछले सालों से क्रांतिकारी प्रयास किए जा रहे है। इसी क्रम में केरल के कोल्‍लम जिले में 24 घंटे चलने वाली ऑनलाइन अदालत की शुरूआत न्‍यायिक सुधार की दिशा में एक मील का पत्‍थर साबित हो सकती है। पूर्व प्रधान न्‍यायाधीश डीवाइ चद्रचूड़ ने अपने कार्यकाल में हमारी न्‍याय व्‍यवस्‍था को औपनिवेशिक मानसिकता से बाहर निकाल कर लोकोन्‍मुखी बनाने के प्रयासों को वैचारिक आधार प्रदान किया। उन्‍होंने अदालतों को पारदर्शी और आम लोगों के लिए ज्‍यादा सुलभ बनाने की नीति के तहत कई बदलाव किए।  
जस्टिस चंद्रचूड की तरह ही कई अन्‍य न्‍यायाधीशों ने भी अदालतों में आधुनिक तकनीकों के इस्‍तेमाल को बढ़ावा दिया है। इन प्रयासों के कारण ही ओडिशा जैसे अपेक्षाकृत पिछड़े राज्‍य में सभी अदालतें ऑनलाइन मोड में काम करने की स्थिति में गई है। अन्‍य राज्‍यों में भी अभियाननूर्वक ऐसे प्रयास आगे बढ़ाए जा रहे हैं, जो समय और धन की बचत करने के साथ-साथ अदालतों तक आम लोगों की पहुंच को सुलभ बनाने वाले है। कोल्‍लम जिले में शुरू की गई ऑनलाइन अदालत में एक मजिस्‍ट्रेट और तीन कर्मचारी होंगे। इसमें कहीं से भी केस दायर किए जा सकेंगे। फरियादी, आरोपी, वकील या जज किसी को भी अदालत जाने की जरूरत नहीं होगी। सुनवाई फैसले के साथ-साथ कोर्ट फीस का भुगतान भी ऑनलाइन होगा। पुलिस को निर्देश देने वाले परिपत्र भी ऑनलाइन ही भेजे जाएंगे। इस सुविधा के बाद घर या देने दफ्तर में बैठकर भी मुकदमेबाजी की प्रक्रिया पूरी की जा सकेगी। ऑनलाइन प्रक्रिया में दस्‍तावेजों को डिजिटल रूप में संग्रहित करने से उनके खाने का जोखिम नहीं रहता है। कागजों का इस्‍तेमाल नहीं होने से प्रक्रिया पर्यावरण के अनुकूल तो है ही, भ्रष्‍टाचार की गुंजाइश भी कम करेगी। केरल की तरह अन्‍य राज्‍यों का  भी इस दिशा में सकारात्‍मक रूख दिखाना चाहिए।  
 

saving score / loading statistics ...