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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Nov 20th, 08:40 by lucky shrivatri
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महाराज वीर सेन के इकलौते पुत्र का बचपन लाड़ प्यार में बीत रहा था। जिससे वह जिद्दी और गुस्से वाला बन गया। राजकुमार बात-बात पर गुस्सा करता, हालांकि बाद में क्षमा मांग लेता। महाराज स्वयं उसकी इस आदत से परेशान हो गए। उन्होंने गुरू से राजकुमार की आदत सुधारने की विनती की। वीर सेन अपने पुत्र को उनके आश्रम में छोड़ कर राजमहल लौट आए। तुम इतना गुस्सा क्यों करते हो? गुरूजी ने राजकुमार से पूछा तो उसने कहा कि मैं गुस्सा करने के बाद सभी से क्षमा मांग लेता हूं। गुरूजी ने राजकुमार से कहा, कि जब भी गुस्सा आए तो कागज के टुकड़े पर आज मैंने गुस्सा किया लिखकर दीवार पर चिपका दे। कुछ ही दिन में पूरी दीवार चिपकाए हुए कागज के टुकड़ों से भर गई। गुरूजी ने राजकुमार से उन सभी टुकड़ो को हटाने के लिए कहा। देखा तुमने कागज के टुकड़े तो हट गए लेकिन उसके दाग अभी तक इस दीवार पर बने हुए है। ठीक वैसे ही माफी मांग लेने के बावजूद तुम्हारे द्वारा बोले गए कटु शब्दों के निशान सामने वाले के दिल पर हमेशा बने रहते है। संत के वचनों ने राजकुमार की आंखे खोल दी अपनी भूल का एहसास हुआ।
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