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created Nov 19th, 02:06 by Success With You
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आवेदक अभियुक्त की ओर से प्रस्तुत जमानत आवेदन संक्षेप में इस प्रकार है, कि आवेदक विधि स्नातक है व प्रतिष्ठित परिवार से संबंध रखता है। विगत कुछ समय पूर्व आवेदक को थाना जीआरपी के द्वारा एक नोटिस प्रदान किया गया जिसमें उसे थाने पर उपस्थित होकर किसी मोबाईल चोरी के अपराध में गिरफ्तार किये जाने हेतु कार्यवाही किया जाना दर्शित है। उक्त मोबाईल उसे एक महिला द्वारा गिफ्ट के तौर पर उपयोग किये जोने हेतु दिया गया था। आवेदक द्वारा नवीन फोन प्राप्त करने के उपरांत उक्त फोन यथावत फोन मालिक को वापस लौटा दिया गया था। फोन लौटाये जाते वक्त उक्त फोन यथावत फोन मालिक को वापस लौटा दिया गया था। फोन लौटाये जाते वक्त उक्त फोन के कुछ फीचर काम नहीं कर रहे थे जिस पर से फोन मालिक का उससे मनमुटाव हो गया था एवं फोन मालिक द्वारा नवीन फोन दिये जाने के लिये विवश किया जाने लगा जिससे प्रार्थी ने इंकार किर दिया। उक्त फोन वर्तमान में फोन मालिक के पास ही सुरक्षित अवस्था में रखा हुआ है। यदि उक्त प्रकरण में पुलिस द्वारा आवेदक को गिरफ्तार किया जाता है तो आवेदक केमान सम्मान को काफी क्षति पहुंचेगी। आवेदक को षड्यंत्रपूर्वक प्रकरण में फंसाया जा रहा है। आवेदक विधि व्यवसाय करता है व उसकी सामाजिक, आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वह जमानत उपरांत फरार हो जाये। अत: उसे अग्रिम जमानत पर मुक्त किया जाये। जबकि अभियोजन की ओर से जमानत आवेदन का विरोध करते हुये जमानत आवेदन निरस्त किये जाने का निवेदन किया गया है। अभियोजन कथानक संक्षेप में इस प्रकार है कि फरियादियाने आरक्षीकेंद्र में धारा 379 भारतीय दण्ड संहिता के अंतर्गत इस आशय की प्रथम सूचना लेख कराई कि दिनांक 20.10.2015 को वह ट्रेन बेनाम एक्सप्रेस के कोच बी 3, बर्थ नंबर 68 पर निजामुददीन से गुजरात की यात्रा कर रही थी। ट्रेन स्टेशन पर समय 06:17 पर पहुंची तथा वह कोच से उतरकर सामान के साथ स्टेशन के बाहर पहुंची
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