Text Practice Mode
MY NOTES 247 जूनियर ज्यूडिशियल असिस्टेंट हिंदी मोक टाइपिंग टेस्ट 8*
created Nov 17th, 08:00 by 12345shiv
1
302 words
10 completed
0
Rating visible after 3 or more votes
00:00
इस अधिनियम के अन्य उपबन्धों के अधीन रहते हुए कुटुम्ब न्यायालय को स्पष्टीकरण में निर्दिष्ट प्रकृति के वादों और कार्यवाहियों की बाबत, तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन किसी जिला न्यायालय या किसी अधीनस्थ सिविल न्यायालय द्वारा प्रयोक्तव्य पूर्ण अधिकारिता होगी और वह उसका प्रयोग करेगा; कुटुम्ब न्यायालय के बारे में, ऐसी विधि के अधीन ऐसी अधिकारिता का प्रयोग करने के प्रयोजनों के लिए, यह समझा जाएगा कि वह ऐसे क्षेत्र के लिए, जिस पर कुटुम्ब न्यायालय की अधिकारिता का विस्तार है, यथास्थिति जिला न्यायालय या अधीनस्थ सिविल न्यायालय है। जहां कोई कुटुम्ब न्यायालय किसी क्षेत्र के लिए स्थापित किया गया है वहां धारा 7 की उपधारा (।-क) में निर्दिष्ट किसी जिला न्यायालय या अधीनस्थ सिविल न्यायालय को, ऐसे क्षेत्र के संबंध में, उस उपधारा के स्पष्टीकरण में निर्दिष्ट प्रकृति के किसी वाद या कार्यवाही की बाबत कोई अधिकारिता नहीं होगी। किसी मजिस्ट्रेट को ऐसे क्षेत्र के संबंध में, दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 के अध्याय 9(।।-ख), (1/।-ग) के अधीन कोई अधिकारिता या शक्तियां नहीं होंगी या वह उनका प्रयोग नहीं करेगा। जो ऐसे कुटुम्ब न्यायालय की स्थापना से ठीक पहले, यथास्थिति उस उपधारा में निर्दिष्ट किसी जिला न्यायालय या अधीनस्थ सिविल न्यायालय के समक्ष अथवा उक्त संहिता के अधीन किसी मजिस्ट्रेट के समक्ष लंबित है। जो ऐसे कुटुम्ब न्यायालय के समक्ष या उसके द्वारा की जानी या संस्थित की जानी अपेक्षित होती यदि ऐसी तारीख से, जिसको ऐसा वाद या कार्यवाही क गई थी या संस्थित की गई थी, पहले यह अधिनियम प्रवृत्त हो गया होता और ऐसा कुटुम्ब न्यायालय स्थापित हो गया होता, ऐसे कुटुम्ब न्यायालय को ऐसी तारीख को अंतरण हो जाएगा, जिसको वह स्थापित किया जाता है। जहां मामले की प्रकृति और परिस्थितियों के अनुसार ऐसा करना संभव है वहां प्रत्येक वाद या कार्यवाही में कुटुम्ब न्यायालय सर्वप्रथम यह प्रयास करेगा कि वाद या कार्यवाही की विषय-वस्तु की बाबत
saving score / loading statistics ...