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MY NOTES 247 जूनियर ज्‍यूडिशियल असिस्‍टेंट हिंदी मोक टाइपिंग टेस्‍ट 6 *

created Nov 15th, 16:06 by Anamika Shrivastava


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विद्वान वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता ने आगे कहा कि नकली दवाएं वास्‍तव में उच्‍च रक्‍तचाप के रोगियों के बहुत महत्‍वपूर्ण दवाएं थीं और नकली दवाएं बेचकर, आरोपी निर्दोष लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं और नकली दवाएं केवल उन रोगियों को वितरित की जा रही हैं और ड्रग्‍स एंड कॉस्‍मेटिक एक्‍ट की धारा 18 (बी) के अनुसार याचिकाकर्ता को 10 साल तक की कैद की सजा हो सकती है। मामले के तथ्‍यों और परिस्थितियों तथा कानून के आधार पर विद्वान ने यह मानने में गलती की है कि एक बार अपीलकर्ता ने आयकर रिटर्न में व्‍यय को अस्‍वीकार कर दिया तो अपीलकर्ता के लिए मूल्‍यांकन कार्यवाही या अपीलीय कार्यवाही के दौरान कटौती का दावा करना खुला नहीं है। इस अपील में उठाया गया प्रश्‍न यह है कि क्‍या अपीलकर्ता-करदाता संशोधित रिटर्न दाखिल करने के अलावा कटौती का दावा कर सकता है। प्रश्‍नगत मूल्‍यांकन वर्ष 1995-96 था। अपीलकर्ता द्वारा प्रश्‍नगत मूल्‍यांकन वर्ष के लिए 30-11-1995 को रिटर्न दाखिल किया गया था। 12-1-1998 को अपीलकर्ता ने मूल्‍यांकन अधिकारी के समक्ष एक पत्र के माध्‍यम से कटौती का दावा करने की मांग की। मूल्‍यांकन अधिकारी ने इस आधार पर कटौती को अस्‍वीकार कर दिया कि आयकर अधिनियम के तहत रिटर्न को संशोधित किए बिना मूल्‍यांकन चरण में आवेदन को संशोधित करके आयकर रिटर्न में संशोधन करने का कोई प्रावधान नहीं है। हालांकि, आयकर अपीलीय न्‍यायाधिकरण के समक्ष विभाग की आगे की अपील के आदेश को स्‍वीकार कर लिया गया। अपीलकर्ता ने इस न्‍यायालय का दरवाजा खटखटाया है और प्रस्‍तुत किया है कि न्‍यायाधिकरण ने मूल्‍यांकन अधिकारी के आदेश को बरकरार रखने में गलती की है। उन्‍होंने नेशनल थर्मल में इस न्‍यायालय के निर्णय पर भरोसा करते हुए तर्क किया है कि करदाता के लिए अपीलीय न्‍यायाधिकरण के समक्ष भी कानून के मुद्दे उठाने का विकल्‍प खुला है। बेशक, सिविल अपील संख्‍या 104/2000 में जारी डिक्री ने द्वितीय अपील को खारिज करने के मामले में अंतिमता प्राप्‍त कर ली है।

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