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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Nov 12th, 03:59 by Jyotishrivatri
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गुजरात हाईकोर्ट ने अपीलकर्ता-प्राधिकारियों की अपील खारिज करते हुए निचली अदालत के बरी करने के आदेश की पुष्टि करते हुए माना कि यह एनडीपीएस एक्ट की धारा 50 के उल्लंघन का मामला है। गुजरात हाईकोर्ट ने आरोपी को बरी करने के निचली अदालत के आदेश की पुष्टि इस आधार पर की कि प्रतिवादी-अभियुक्त को मजिस्ट्रेट के सामने तलाशी लेने के अपने अधिकार से अवगत नहीं कराया गया, जिससे एनडीपीएस एक्ट की धारा 50 का उल्लंघन हुआ। पैन एम हाईजैक-आतंकी हमला क्या पत्नी की मौत के कारण पति को मिले मुआवजे पर आय के रूप में टैक्स लगाया जा सकता है? गुजरात हाईकोर्ट विचार करेगा जस्टिस एसएच वोरा और जस्टिस संदीप भट्ट की बेंच ने कहा, जांच अधिकारी पूर्व सूचना पर कार्रवाई करते हुए और किसी व्यक्ति की तलाशी लेने से पहले, प्रतिवादी-आरोपी को एनडीपीएस अधिनियम की धारा 50 की उप-धारा 1 के अपने अधिकार के बारे में निकटतम राजपत्रित अधिकारी या मजिस्ट्रेट के पास उनकी उपस्थिति में तलाशी लेने के लिए ले जाने के बारे में सूचित करना अनिवार्य है। ऐसी भी प्रतीत होता है कि न तो ऐसी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। संपत्ति कुर्क करने का अधिकार जिला मजिस्ट्रेट को बृहत बेंगलुरू महानगर पालिका आयुक्त को नहीं कर्नाटक हाईकोर्ट यहां अधिकारियों ने आरोपी से अवैध रूप से ले जा रही 1 किलो 490 ग्राम चरस बरामद की। नतीजतन, एनडीपीएस अधिनियम की धारा 20, 21 और 22 और निषेध अधिनियम की धारा 66 बी के तहत अपराध दर्ज किया गया। इसके बाद मामला सत्र न्यायालय को सौंपा गया, जिसमें अभियोजन पक्ष ने सीआरपीसी की धारा 313 के तहत विभिन्न आपत्तिजनक परिस्थितियों और गवाहों को पेश किया था। आरोपी ने सभी आरोपों से इनकार किया। इसके बाद उसे इस आधार पर बरी कर दिया गया कि अभियोजन मामले को उचित संदेह से परे साबित करने में विफल रहा। एनजीटी ने यूपी में अवैध तरीके से भूजल दोहन को लेकर पेप्सिको और कोका-कोला पर 25 करोड़ रूपए का जुर्माना लगाया।
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