eng
competition

Text Practice Mode

साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 ( जूनियर ज्‍यूडिशियल असिस्‍टेंट के न्‍यू बेंच प्रारंभ) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created Nov 11th, 07:49 by Sai computer typing


1


Rating

314 words
26 completed
00:00
ओलंपिक खेलों में अपने देश का प्रतिनिधित्‍व करने वाले हर खिलाड़ी का सपना पदक जीतने का होता है। इसमें दो राय नहीं कि दस बरस पहले सरकार की ओर से लागू की गई टारगेट ओलंपिक पोडियम स्‍कीम (टॉप्‍स) के तहत ओलंपिक पैरालंपिक खेलों में भारतीय खिलाडियों ने देश की झोली में पदक भी डाले है। पर चिंता की बात यह है कि पेरिस ओलंपिक में खिलाडियां के प्रदर्शन को आधार बनाकर खेल मंत्रालय अब इस स्‍कीम के तहत जारी होने वाले फंड में कटौती करने पर विचार कर रहा है। वह भी तब, जब भारत खुद वर्ष 2036 के ओलंपिक की मेजबानी का औप‍चारिक दावा पेश कर चुका है।  
ओलंपिक खेलों के आयोजन की मेजबानी भारत को मिलेगी अथवा नहीं, यह तय होने में अभी वक्‍त है। लेकिन यह भी सच हैं कि इन खेलों का आयोजन करने वाले देश में अत्‍याधुनिक खेल सुविधाओं और दूसरी आधारभूत सुविधाओं का व्‍यापक विस्‍तार हो जाता है। दुनिया को भी ओलंपिक आयोजन की मेजबानी के माध्‍यम से बड़ा संदेश जाता है सो अलग। इसके बावजूद ओलंपिक आयोजन का दावा पेश करने के दौर में ही टारगेट ओलंपिक पोडियम स्‍कीम से हाथ खीचने की खेल मंत्रालय की मंशा को सर्वथा विपरीत कदम ही कहा जा सकता है।  
पेरिस ओलंपिक की बात करें तो पोडियम स्‍कीम का फंड महज 470 करोड़ रूपए था। जबकि पेरिस ओलंपिक के आयोजन पर फ्रांस का खर्च लगभग 81 हजार करोड़ रूपए था। वर्ष 2036 के ओलंपिक आयोजन में खर्चो का अनुमान लगाया जाए तो यह आज से दो तीन गुणा ज्‍यादा ही होगा। खिलाडियों के फंड में कटौती होगी, तो उनकी ट्रनिंग और प्रैक्टिस पर भी असर पड़ना तय है। ऐसा हुआ तो आने वाले ओलंपिक आयोजन में खिलाडियों के पदक जीतने की संभावनाओं पर भी असर पड़ना तय है। और फिर, यदि हमारे यहां ओलंपिक का आयोजन हो तब खिलाडियों का प्रदर्शन कमजोर दिखे यह तो ओलंपिक स्‍वीकार नहीं होना चाहिए।  
 

saving score / loading statistics ...