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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 (( जूनियर ज्यूडिशियल असिस्टेंट न्यू बेच प्रारंभ))संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Nov 8th, 04:46 by lucky shrivatri
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न्यायालय धारा 265 के अन्तर्गत व्यवस्था के अनुसार पीडिता को प्रतिकार अधिनिर्णीत करेगा तथा दण्ड की मात्रा, अभियुक्त को अच्छे आचरण की परिवीक्षा पर या धारा 360 के अन्तर्गत चेतावनी के पश्चात रिहा करने या अपराधी परिवीक्षा अधिनियम 1958 या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के प्रावधानों के अन्तर्गत अभियुक्त से व्यवहार करने पर पक्षकारों को सुनेगा और अभियुक्त पर दण्ड अधिरोपित करने के लिए अनुवर्ती खण्डों में विनिर्दिष्ट प्रक्रिया का पालन करेगा। खण्ड क के अन्तर्गत पक्षकारों को सुनने के पश्चात, यदि न्यायालय का यह दृष्टिकोण है कि धारा 360 या अपराधी परिवीक्षा अधिनियम 1958 के प्रावधान या तत्समय प्रवृत्त कोई अन्य विधि अभियुक्त के मामले में आकर्षित होती है तो यह अभियुक्त को परिवीक्षा पर रिहा कर सकता है, यथास्थिति या ऐसी किसी विधि का परिलाभ दे सकता है। यदि न्यायालय यह पाता है कि अभियुक्त द्वारा किए गए अपराध के लिए विधि के अन्तर्गत् न्यूनतम दण्ड उपबंधित किया गया है तो वह अभियुक्त को ऐसे न्यूनतम दण्ड का आधा दण्ड दे सकता है।
अभियुक्त द्वारा भोगी गई कारावास की अवधि इस अध्याय के अन्तर्गत अधिरोपित कारावास के दण्ड के विरूद्ध समायोजित करने के लिए धारा 428 के प्रावधान उसी रीति में लागू होगे जैसे वे इस संहिता के अन्य प्रावधानों के अन्तर्गत कारावास के संबंध में लागू होते है। इस संहिता के किन्ही अन्य प्रावधानों में इसके असंगत किसी बात के होते हुए भी इस अध्याय के प्रावधान प्रभाव रखेगे तथा ऐसे प्रावधानों में, इस अध्याय के किसी प्रावधान का निरोध करने हेतु किसी बात का अर्थ नही लगाया जायेगा। किसी विधि में किसी बात के होते हुए भी धारा 265-ख के अन्तर्गत फाइल किये गये तर्क सौदाकारी आवेदन में अभियुक्त द्वारा दिए गए बयानों या तथ्यों को इस अध्याय के प्रयोजन सिवाय किसी अन्य प्रयोजन के लिए प्रयोग नहीं किया जायेगा।
जहां उपधारा 2 के अधीन प्रतिहस्ताक्षरित के लिए पेश किए गए प्रत्येक आदेश के साथ ऐसे तथ्यों का, जिनसे मजिस्ट्रेट की राय में आदेश आवश्यक हो गया है, एक विवरण होगा और वह मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जिसके समक्ष वह पेश किया गया है उस विवरण पर विचार करने के पश्चात् आदेश पर प्रतिहस्ताक्षर करने से इंकार कर सकता है।
अभियुक्त द्वारा भोगी गई कारावास की अवधि इस अध्याय के अन्तर्गत अधिरोपित कारावास के दण्ड के विरूद्ध समायोजित करने के लिए धारा 428 के प्रावधान उसी रीति में लागू होगे जैसे वे इस संहिता के अन्य प्रावधानों के अन्तर्गत कारावास के संबंध में लागू होते है। इस संहिता के किन्ही अन्य प्रावधानों में इसके असंगत किसी बात के होते हुए भी इस अध्याय के प्रावधान प्रभाव रखेगे तथा ऐसे प्रावधानों में, इस अध्याय के किसी प्रावधान का निरोध करने हेतु किसी बात का अर्थ नही लगाया जायेगा। किसी विधि में किसी बात के होते हुए भी धारा 265-ख के अन्तर्गत फाइल किये गये तर्क सौदाकारी आवेदन में अभियुक्त द्वारा दिए गए बयानों या तथ्यों को इस अध्याय के प्रयोजन सिवाय किसी अन्य प्रयोजन के लिए प्रयोग नहीं किया जायेगा।
जहां उपधारा 2 के अधीन प्रतिहस्ताक्षरित के लिए पेश किए गए प्रत्येक आदेश के साथ ऐसे तथ्यों का, जिनसे मजिस्ट्रेट की राय में आदेश आवश्यक हो गया है, एक विवरण होगा और वह मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जिसके समक्ष वह पेश किया गया है उस विवरण पर विचार करने के पश्चात् आदेश पर प्रतिहस्ताक्षर करने से इंकार कर सकता है।
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