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created Nov 5th, 14:22 by ramsaxena


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कोई प्राइवेट व्‍यक्ति किसी ऐसे व्‍यक्ति को जो उसकी उपस्थिति में अजमानतीय और संज्ञेय अपराध करता है, या किसी उद्धोषित अपराधी को अरेस्‍ट कर सकता है या अरेस्‍ट करवा सकता है और ऐसे अरेस्‍ट किए गए व्‍यक्ति को अनावश्‍यक विलंब के बिना पुलिस अधिकारी के हवाले कर देगा या हवाले करवा देगा या पुलिस अधिकारी की अनुपस्थिति में ऐसे व्‍यक्ति को अभिरक्षा में निकटतम पुलिस थाने ले जाएगा या भिजवाएगा। यदि यह विश्‍वास करने का कारण है कि ऐसा व्‍यक्ति धारा 41 के उपबंधों के अंतर्गत आता है तो पुलिस अधिकारी उसे फिर से अरेस्‍ट करेगा। यदि यह विश्‍वास करने का कारण है कि उसने असंज्ञेय अपराध किया है और वह पुलिस अधिकारी की मांग पर अपना नाम और निवास बताने से इनकार करता है, या ऐसा नाम या निवास बताता है, जिसके बारे में ऐसे अधिकारी को यह विश्‍वास करने का कारण है कि वह मिथ्‍या है, तो उसके विषय में धारा 42 के उपबंधों के अधीन कार्यवाही की जाएगी। किंतु यदि यह विश्‍वास करने का कोई पर्याप्‍त कारण नहीं है कि उसने कोई अपराध किया है तो वह तुरंत छोड़ दिया जाएगा। जब कार्यपालक या न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेट की उपस्थिति में उसकी स्‍थानीय अधिकारिता के अंदर कोई अपराध किया जाता है तब वह अपराधी को स्‍वयं अरेस्‍ट कर सकता है या अरेस्‍ट करने के लिए किसी व्‍यक्ति को आदेश दे सकता है और तब जमानत के बारे में इसमें निहित उपबंधों के अधीन रहते हुए, अपराधी को अभिरक्षा के लिए सुपुर्द कर सकता है। कोई कार्यपालक या न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेट किसी भी समय अपनी स्‍थानीय अधिकारिता के भीतर किसी ऐसे व्‍यक्ति को अरेस्‍ट कर सकता है, या अपनी उपस्थिति में उसको अरेस्‍ट का निदेश दे सकता है जिसको अरेस्‍ट के लिए उस समय और उन परिस्थितियों में वारंट जारी करने के लिए सक्षम हैं। धारा 41 से 44 तक की धाराओं का समावेश।      
 

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