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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Oct 29th, 05:17 by sandhya shrivatri
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कुछ लोग अपना काम आप करते हैं। वे दूसरों की मदद नहीं चाहते है। वे दूसरों पर निर्भर नहीं करते है। यह आदत आत्म-निर्भरता कही जाता है। आत्म-निर्भरता यानी स्वयं सहायता सबसे अच्छी सहायता है। यह सबसे बड़ा गुण है। ईश्वर उनकी मदद करते है जो अपनी मदद आप करते हैं। आत्म-निर्भरता जीवन में सफलता की ओर अग्रसर करती है। ईश्वर की यह इच्छा है कि मनुष्य को दूसरों पर आश्रित नहीं रहना चाहिए। उसे अपना काम स्वयं करना चाहिए। आत्म-निर्भरता मुनष्य में आत्म-सम्मान उत्पन्न करती है। वह अपने आप में अपनी शक्ति का अनुभव करता है। वह अनुभव करता है कि वह किसी से कम नहीं है। वह अपना सिर किसी व्यक्ति के सामने नहीं झुकाता है। वह यह अनुभव करता है कि वह यश और सम्मान पायेगा। वह अपनी शक्ति और योग्यता पर विश्वास रखता है। ऐसे आदमी ईमानदार और परिश्रमी होता है। सफलता उसका पुरस्कार है। वह सांसारिक कठिनाइयों का साहस के साथ सामना कर सकता है क्योंकि वह दूसरों की मदद नहीं चाहता। वह सौभाग्यशाली है वह सुखी है।
कुछ लोग दूसरों की सहायता के बिना कोई काम नहीं कर सकते है। वे हमेशा दूसरों पर आश्रित रहते हैं। वे कमजोर दिमाग के होते है। उनकी इच्छा तीव्र नहीं होती है। उनमें मानसिक शक्ति नहीं होती है वे अपने में कुछ कमी का अनुभव करते है। ऐसे लोग कोई भी बड़ा काम नहीं कर सकते है। वे कठिनाइयों से नहीं लड़ सकते है। ऐसे लोग दीन होते है। वे आत्म-निर्भरता गंवा देते हैं। वे दूसरों पर निर्भर हो जाते हैं। वे समाज के लिए एक बोझ हैं। वे अपनी जीविका भी नही कमा पाते। वे सुस्त और निष्क्रिय होते है। उनका जीवन दयनीय होता है। हमें आत्म-निर्भरता की आदत बचपन से ही अपनाना चाहिए। जो ऐसा नहींं कर पाते है वे अन्त में कष्ट उठाते हैं इसलिए सबों का कर्तव्य है कि वे अपने पैरों पर खड़े हो। अतीत के सभी बड़े लोग आत्म-निर्भर थे तभी वे जीवन में बहुत कुछ कर गए।
कुछ लोग दूसरों की सहायता के बिना कोई काम नहीं कर सकते है। वे हमेशा दूसरों पर आश्रित रहते हैं। वे कमजोर दिमाग के होते है। उनकी इच्छा तीव्र नहीं होती है। उनमें मानसिक शक्ति नहीं होती है वे अपने में कुछ कमी का अनुभव करते है। ऐसे लोग कोई भी बड़ा काम नहीं कर सकते है। वे कठिनाइयों से नहीं लड़ सकते है। ऐसे लोग दीन होते है। वे आत्म-निर्भरता गंवा देते हैं। वे दूसरों पर निर्भर हो जाते हैं। वे समाज के लिए एक बोझ हैं। वे अपनी जीविका भी नही कमा पाते। वे सुस्त और निष्क्रिय होते है। उनका जीवन दयनीय होता है। हमें आत्म-निर्भरता की आदत बचपन से ही अपनाना चाहिए। जो ऐसा नहींं कर पाते है वे अन्त में कष्ट उठाते हैं इसलिए सबों का कर्तव्य है कि वे अपने पैरों पर खड़े हो। अतीत के सभी बड़े लोग आत्म-निर्भर थे तभी वे जीवन में बहुत कुछ कर गए।
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