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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Oct 29th, 04:48 by Jyotishrivatri
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एक बार की बात है लालपुर गांव में तीन भाई गजेंद्र, राजेंद्र और सुरेंद्र रहते थे। उनकी आपस में बिलकुल भी नहीं बनती थी और वो आपस में लड़ते रहते थे। उनके पिता की मृत्यु जब वे छोटे थे तभी हो गयी थी। वह तीनों अपनी मां के साथ रहते थे। वे अपनी मां की खेती में मदद करते थे और अपने घर का गुजारा चलाते थे। एक दिन उनकी मां बहुत बीमार हो गयी। उनकी मां ने तीनों भाइयों को बुलाया और कहा की मैं शायद अब ज्यादा समय तक जिन्दा न रहा सकूं। लेकिन मेरी एक इच्छा है क्या तुम उसको उसको पूरा करोगे। तीनों भाइयों ने मां की इच्छा के बारे में पूछा। मां ने बोला मै यह चाहती हूं की तुम सब एक बड़ा घर बनाओं और साथ में रहो। तुम सब खूब तरक्की करो। उनकी यह बात सुनकर गजेंद्र ने बोला की ठीक है मां हम आपकी इच्छा को पूरा करेंगे। लेकिन तुम बस जल्दी से ठीक हो जाओं। इसके बाद वह बाहर चले गए। बाहर जाकर गजेंद्र से बोला की तुमने मां से यह क्यों बोला की हम साथ रहेंगे।
मैं तुम्हारे साथ नहीं रहने वाला। सुरेंद्र भी बोला में भी तुम दोनों के साथ रहने वाला तुमको मां को सच बोलना चाहिए था। कुछ दिनों के बाद उनकी मां की मृत्यु हो गयी। इसके बाद उनने सोचा मां की आखिरी इच्छा थी अच्छा बड़ा घर बनाने की।
तीसरे भाई गजेंद्र ने अपना घर पत्थर का बनाने की सोची वह जाकर पत्थर और सीमेंट ले आया। लेकिन उसके सारे पैसे खत्म हो गए। फिर उसने समय खेत में काम करके पैसे कमाए जिससे वह बाकी सामान भी ले आया। इसके बाद उसने खुद घर बनाना शुरू किया और कुछ महीनों में उसका घर बनकर तैयार हो गया और वह इससे बहुत खुश हुआ। कुछ दिनों के बाद बड़ा तुफान आया जिससे राजेंद्र और सुरेंद्र के घर नष्ट हो गए। दोनों भोगे-भागे गजेंद्र के घर आए और शरण ली। वह दोनों बहुत शर्मिदा थे। लेकिन उसके बाद उनने साथ में रहने का निर्णय किया।
मैं तुम्हारे साथ नहीं रहने वाला। सुरेंद्र भी बोला में भी तुम दोनों के साथ रहने वाला तुमको मां को सच बोलना चाहिए था। कुछ दिनों के बाद उनकी मां की मृत्यु हो गयी। इसके बाद उनने सोचा मां की आखिरी इच्छा थी अच्छा बड़ा घर बनाने की।
तीसरे भाई गजेंद्र ने अपना घर पत्थर का बनाने की सोची वह जाकर पत्थर और सीमेंट ले आया। लेकिन उसके सारे पैसे खत्म हो गए। फिर उसने समय खेत में काम करके पैसे कमाए जिससे वह बाकी सामान भी ले आया। इसके बाद उसने खुद घर बनाना शुरू किया और कुछ महीनों में उसका घर बनकर तैयार हो गया और वह इससे बहुत खुश हुआ। कुछ दिनों के बाद बड़ा तुफान आया जिससे राजेंद्र और सुरेंद्र के घर नष्ट हो गए। दोनों भोगे-भागे गजेंद्र के घर आए और शरण ली। वह दोनों बहुत शर्मिदा थे। लेकिन उसके बाद उनने साथ में रहने का निर्णय किया।
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