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अभ्यास 1111111111111111
created Oct 27th, 13:30 by _SUBH_
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आज के युग में नारी कितनी सुशील और शिष्ट क्यों न हो, अगर वह शिक्षित नहीं है, तो उसका व्यक्तित्व बड़ा नहीं हो सकता है, क्योंकि आज का युग प्राचीन काल को बहुत पीछे छोड़ चुका है। आज नारी पर्दा और लज्जा की दीवारों से बाहर आ चुकी है, वह पर्दा प्रथा से बहुत दूर निकल चुकी है। इसलिए आज इस शिक्षा युग में अगर नारी शिक्षित नहीं है, तो उसका इस युग से कोई तालमेल नहीं हो सकता है। ऐसा न होने से वह महत्वहीन समझी जाएँगी और इस तरह समाज से उपेक्षा का पात्र बन जाएँगी। इसलिए आज नारी को शिक्षित करने की तीव्र आवश्यकता को समझकर इस पर ध्यान दिया जा रहा है।
नारी शिक्षा का महत्व निर्विवाद रूप से मान्य है। यह बिना किसी तर्क या विचार विमर्श के ही स्वीकार करने योग्य है, क्योंकि नारी शिक्षा के परिणाम स्वरूप ही पुरुष के समान आदर और सम्मान का पात्र समझी जाती है। यह तर्क किया जा सकता है कि प्राचीन काल में नारी शिक्षित नहीं होती थी। वह गृहस्थी के कार्यों में दक्ष होती हुई पति-परायण और महान पतिव्रता होती थी। इसी योग्यता के फलस्वरूप वह समाज से प्रतिष्ठित होती हुई देवी के समान श्रद्धा और विश्वास के रूप में देखी जाती थी, लेकिन हमें यह सोचना-विचारना चाहिए कि तब के समय में नारी शिक्षा की कोई आवश्यकता न थी। तब नारी नर की अनुगामिनी होती थी। यही उसकी योग्यता थी, जबकि आज की नारी की योग्यता शिक्षित होना है। आज का युग शिक्षा के प्रचार प्रसार से पूर्ण विज्ञान का युग है। आज अशिक्षित होना एक महान अपराध है। शिक्षा के द्वारा ही पुरुष किसी भी क्षेत्र में जैसे प्रवेश करते हैं, वैसे नारी भी शिक्षा से संपन्न होकर जीवन के किसी भी क्षेत्र में प्रवेश करके अपनी योग्यता और प्रतिभा का परिचय दे रही है। शिक्षित नारी में आज पुरुष की शक्ति और पुरुष का वही अद्भुत तेज दिखाई पड़ता है। शिक्षित नारियाँ न सिर्फ अपने बच्चों को अपेक्षाकृत उत्तम संस्कार दे सकती हैं, बल्कि सामाजिक उत्थान में भी अपनी योग्यता का लोहा मनवा सकती हैं।
नारी शिक्षा का महत्व निर्विवाद रूप से मान्य है। यह बिना किसी तर्क या विचार विमर्श के ही स्वीकार करने योग्य है, क्योंकि नारी शिक्षा के परिणाम स्वरूप ही पुरुष के समान आदर और सम्मान का पात्र समझी जाती है। यह तर्क किया जा सकता है कि प्राचीन काल में नारी शिक्षित नहीं होती थी। वह गृहस्थी के कार्यों में दक्ष होती हुई पति-परायण और महान पतिव्रता होती थी। इसी योग्यता के फलस्वरूप वह समाज से प्रतिष्ठित होती हुई देवी के समान श्रद्धा और विश्वास के रूप में देखी जाती थी, लेकिन हमें यह सोचना-विचारना चाहिए कि तब के समय में नारी शिक्षा की कोई आवश्यकता न थी। तब नारी नर की अनुगामिनी होती थी। यही उसकी योग्यता थी, जबकि आज की नारी की योग्यता शिक्षित होना है। आज का युग शिक्षा के प्रचार प्रसार से पूर्ण विज्ञान का युग है। आज अशिक्षित होना एक महान अपराध है। शिक्षा के द्वारा ही पुरुष किसी भी क्षेत्र में जैसे प्रवेश करते हैं, वैसे नारी भी शिक्षा से संपन्न होकर जीवन के किसी भी क्षेत्र में प्रवेश करके अपनी योग्यता और प्रतिभा का परिचय दे रही है। शिक्षित नारी में आज पुरुष की शक्ति और पुरुष का वही अद्भुत तेज दिखाई पड़ता है। शिक्षित नारियाँ न सिर्फ अपने बच्चों को अपेक्षाकृत उत्तम संस्कार दे सकती हैं, बल्कि सामाजिक उत्थान में भी अपनी योग्यता का लोहा मनवा सकती हैं।
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