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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Oct 23rd, 04:10 by lucky shrivatri
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भारतीय संविधान के अनुच्छेद39-ए में सभी के लिए न्याय सुनिश्चित किया गया है। साथ ही गरीबों तथा समाज के कमजोर वर्गो के लिए नि:शुल्क कानूनी सहायता की व्यवस्था की गई है। संविधान के अनुच्छेद 14 और 22 (1) के तहत राज्य का यह उत्तरदायित्व है कि वह सबके लिए समान अवसर सुनिश्चित करे, चाहे वह पीडि़त पक्षकार हो अथवा आरोपी, वादी हो अथवा प्रतिवादी। समानता के आधार पर समाज के कमजोर वर्गो को सक्षम विधि सेवाएं प्रदान करने के लिए एक तंत्र की स्थापना करने के लिए वर्ष 1987 में विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम के तहत राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) का गठन किया गया।
इस प्राधिकरण का काम कानूनी सहायता कार्यक्रम लागू करना और उसका मूल्यांकन एवं निगरानी करना है। इसके गठन का उद्देश्य समाज के कमजोर वर्गो को तालुका स्तर से लेकर उच्चतम न्यायालय तक नि:शुल्क कानूनी सेवाएं प्रदान करने और विवादों के सौहार्दपूर्ण समाधान के लिए लोक अदालतों का आयोजन या अन्य माध्यमों के द्वारा निस्तारित करने के लिए किया गया है। इसके लिए कानूनी कार्यवाही के लिए आवश्यक कोर्ट फीस और अन्य सभी प्रभार अदा करना, पक्षकार को पैरवी के लिए अधिवक्ता उपलब्ध करवाना, आवश्यकआदेशों, दस्तावेजों आदि की प्रमाणित प्रतियां उपलब्ध कराना और छपाई सहित पेपर बुक तैयार करना आदि भी इसमें शामिल है। इस प्राधिकरण के तहत महिलाएं और बच्चे, अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति के सदस्य, औद्योगिक श्रमिक, प्राकृतिक और औद्योगिक आपदाओं, जातीय हिंसा आदि के शिकार लोग, विशेष योग्यजन, लंबे समय से हरिासत में रखे गए लोग, ऐसे व्यक्ति जिनकी वार्षिक आय तीन लाख रूपए से अधिक नहीं हो, अवैध मानव व्यापार के शिकार आदि लोग मदद पा सकते है।
प्राधिकरण के संचालन और पर्यवेक्षण के लिए बनी समितियां अपने विवेकानुसार निर्णय कर पक्षकर को नि:शुल्क कानूनी सेवा से लाभान्वित किया जा सकता है। इसका खर्च सरकार की सहायता से प्राधिकरण वहन करता है। प्राधिकरण से सहायता प्राप्त करने के लिए पक्षकर को संबंधित स्तर की प्राधिकरण समिति के समक्ष आवेदन करना होता है और उसके पश्चात समिति पक्षकार को आवश्यक कानूनी सहायता प्रदान करती है।
इस प्राधिकरण का काम कानूनी सहायता कार्यक्रम लागू करना और उसका मूल्यांकन एवं निगरानी करना है। इसके गठन का उद्देश्य समाज के कमजोर वर्गो को तालुका स्तर से लेकर उच्चतम न्यायालय तक नि:शुल्क कानूनी सेवाएं प्रदान करने और विवादों के सौहार्दपूर्ण समाधान के लिए लोक अदालतों का आयोजन या अन्य माध्यमों के द्वारा निस्तारित करने के लिए किया गया है। इसके लिए कानूनी कार्यवाही के लिए आवश्यक कोर्ट फीस और अन्य सभी प्रभार अदा करना, पक्षकार को पैरवी के लिए अधिवक्ता उपलब्ध करवाना, आवश्यकआदेशों, दस्तावेजों आदि की प्रमाणित प्रतियां उपलब्ध कराना और छपाई सहित पेपर बुक तैयार करना आदि भी इसमें शामिल है। इस प्राधिकरण के तहत महिलाएं और बच्चे, अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति के सदस्य, औद्योगिक श्रमिक, प्राकृतिक और औद्योगिक आपदाओं, जातीय हिंसा आदि के शिकार लोग, विशेष योग्यजन, लंबे समय से हरिासत में रखे गए लोग, ऐसे व्यक्ति जिनकी वार्षिक आय तीन लाख रूपए से अधिक नहीं हो, अवैध मानव व्यापार के शिकार आदि लोग मदद पा सकते है।
प्राधिकरण के संचालन और पर्यवेक्षण के लिए बनी समितियां अपने विवेकानुसार निर्णय कर पक्षकर को नि:शुल्क कानूनी सेवा से लाभान्वित किया जा सकता है। इसका खर्च सरकार की सहायता से प्राधिकरण वहन करता है। प्राधिकरण से सहायता प्राप्त करने के लिए पक्षकर को संबंधित स्तर की प्राधिकरण समिति के समक्ष आवेदन करना होता है और उसके पश्चात समिति पक्षकार को आवश्यक कानूनी सहायता प्रदान करती है।
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