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डिक्टेशन संकलन 2 | STENOGRAPHER MERGE KHANNA |
created Oct 18th, 03:55 by StenographerPa07
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राज्य सरकार ने शहरी क्षेत्रों में कमजोर वर्ग के लोगों को आवासीय सुविधा मुहैया कराने के लिए आवास नीति में विशेष प्रावधान किये गये हैं। उन्हें आवास नीति में शहरी भूमि सीमा अधिनियम की धारा बीस से छूट दी जायेगी। भूमि धारक एवं सहकारी समितियों द्वारा पच्चीस प्रतिशत विकसित आवासीय भूखंड कमजोर तबकों को उपलब्ध कराने के उद्देश्य से यह व्यवस्था की गई है। धारा बीस से छूट देते समय सुनिश्चित किया जायेगा। मीन पर अनमोदित आवासीय योजना का क्रियान्वयन, अनुमोदन की तारीख से एक वर्ष के अंदर प्रारंभ हो जाना चाहिए और तीन वर्ष के अंतराल में कार्य पूरा कराया जाना चाहिए। जिसकी जानकारी सरकार को तत्काल दी जानी चाहिए। आवास विकास के लिए शहरी भूमि सीमा अधिनियम के अंतर्गत अतिशेष घाेषित जमीन के आवंटन की प्रक्रिया और शर्तों को सरल बनाने का प्रावधान नई आवास नीति में किया गया है। शहरों के आस-पास की कृषि योग्य भूमि के बेहतर नियोजन और किसानों को समुचित लाभ मिले, आवश्यक प्रावधान इसी नीति में किये गये हैं। इधर नीति में अवैध कॉलोनियों के निर्माण की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के लिए आवासीय उपयोग के लिए उपलब्ध भुति के आधार पर गृह निर्माण समितियों का पंजीयन का प्रावधान प्रसतावित किया गया है। निवेश क्षेत्र में स्थिती कृषि भूमि की उपलब्धता के आधार पर गृह निर्माण सहकारी समिति ने निर्माण कार्य शुरू कर कब्जा कर लिया है तो उसको पंजीकृत नहीं किया जाएगा।
नई नीति में स्पष्ट व्यवस्था कर यह प्रक्रिया अपनाई गई है कि प्राधिकरणों द्वारा नगर विकास योजना अधिसूचित करने पर अधिसूचना दिनांक से दो वर्ष की अवधि में योजना का कार्य आरंभ करना जरूरी होगा। अगले पांच वष्र्ज्ञ में योजना पूरी करनी होगी। यदि इस निर्धारित कार्यकाल में कार्य प्रारंभ नहीं किया गया तो योजना निष्प्रभावी मानी जायेगी। भूमि धारक को अधिसूचित योजना के अंतर्गत शेष रही भूमि का विकास निजी व्यक्तियों द्वारा कराने की अनुमति रहेगी। आवास नीति में आवासीय विकास योजनाओं के तहत भूमि मालिक किसानों को भागीदार बनाने की व्यवस्था की गई है। इस प्रकार विकास प्राधिकरणों को निजी भूमि आसानी से सुलभ हो जायेगी और इस आवासीय योजना के अंतर्गत भू-स्वामी को आर्थिक लाभ में हिस्सा मिल जाएगा। इस प्रकार उनकी आर्थिक स्थिति में बढ़ोतरी से विकास में भागीदारी बढ़ेगी। नई नीति के अंतर्गत शहरी भूमि सीमा अधिनियम के अंतर्गत अतिशेष घोषित भूमि में से पचास प्रतिशत भूमि गृह निर्माण सहकारी समितियों को देने संबंधी व्यवस्था की गई है।
नई नीति में स्पष्ट व्यवस्था कर यह प्रक्रिया अपनाई गई है कि प्राधिकरणों द्वारा नगर विकास योजना अधिसूचित करने पर अधिसूचना दिनांक से दो वर्ष की अवधि में योजना का कार्य आरंभ करना जरूरी होगा। अगले पांच वष्र्ज्ञ में योजना पूरी करनी होगी। यदि इस निर्धारित कार्यकाल में कार्य प्रारंभ नहीं किया गया तो योजना निष्प्रभावी मानी जायेगी। भूमि धारक को अधिसूचित योजना के अंतर्गत शेष रही भूमि का विकास निजी व्यक्तियों द्वारा कराने की अनुमति रहेगी। आवास नीति में आवासीय विकास योजनाओं के तहत भूमि मालिक किसानों को भागीदार बनाने की व्यवस्था की गई है। इस प्रकार विकास प्राधिकरणों को निजी भूमि आसानी से सुलभ हो जायेगी और इस आवासीय योजना के अंतर्गत भू-स्वामी को आर्थिक लाभ में हिस्सा मिल जाएगा। इस प्रकार उनकी आर्थिक स्थिति में बढ़ोतरी से विकास में भागीदारी बढ़ेगी। नई नीति के अंतर्गत शहरी भूमि सीमा अधिनियम के अंतर्गत अतिशेष घोषित भूमि में से पचास प्रतिशत भूमि गृह निर्माण सहकारी समितियों को देने संबंधी व्यवस्था की गई है।
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